मानवता का अंत नजदीक..! बाबा वेंगा की डराने वाली भविष्यवाणी आई सामने

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कई बार आपने दुनिया के खत्म होने की भविष्यवाणियां सुनी होंगी, लेकिन वे सच साबित नहीं हुईं। मगर अब एक […]

जब राज्य का मुखिया हो लापरवाह, फिर जनता क्यों करे परवाह

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हर रोज देश और राज्य में कोरोना संक्रमितों के आकड़ें बढ़ते जा रहे हैं। झारखण्ड में अनलॉक-1 की गाइडलाइन जारी करते हुए कई क्षेत्रों में छूट दी गयी। अर्थव्यवस्था को बचाने के लिए यही जरुरी भी था।

झारखण्ड में कोरोना के आकड़ें बढ़ रहे लगातार, जिम्मेदार आप-हम या सरकार ?

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यदि सरकारों ने और हर नागरिक ने अपनी जिम्मेदारी सही से निभायी होती, तो ना अब तक लॉकडाउन की तारीख़ बढ़ती, ना ही मजदुरों का पलायन होता, ना हम अपने घरों में अभी तक बंद होते और ना ही इतनी जानें जाती।

‘नो स्कूल, नो फीस’, सरकार पर टिकी अभिभावकों की उम्मीद

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झारखंड में फीस माफी को लेकर एक बार फिर आवाज उठने लगी है। लॉक डाउन के दौरान झारखंड के स्कूल, कॉलेज सहित सभी शैक्षणिक संस्थाएं बंद हैं। विद्यार्थियों की पढ़ाई लगभग ठप है। ऑनलाइन पढ़ाई की औपचारिकताएं निभाई जा रही है।

जानकर बनो, समझदार बनो, पढ़े-लिखे तो मुंबई वाले भी होते

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आज हम आपको समाज की दो तस्वीर दिखाने की कोशिश कर रहे है। एक तस्वीर समाज के पढ़े लिखे और खुद को सभ्य बताने वाले की है वहीं दूसरी तस्वीर एक ऐसे वर्ग की है जिन्हें हम सभ्य नही मानते, ये अनपढ़ है, और दैनिक मजदूरी कर अपना जीवन यापन करते है।

International Day of Families: कितने संवेदनशील हैं हम

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कल International Day of Families था। यानी परिवार के साथ एक दिन गुजरने का दिन। यह शायद इसलिए भी मनाया जाता है क्योंकि जिम्मेदारियों को निभाते निभाते हम परिवार को समय नहीं दे पाते। काम का तनाव, पैसे कमाने की जद्दोजहद, जिम्मेदारियों को पूरा करते करते वक़्त कब निकल जाता पता ही नहीं चलता।

हम गरीब हैं साहब, दो वक्त की….

Archana

जी हां, हम हैं भारत के गरीब। जिन्हें दो वक्त की रोटी नसीब नहीं होती। जिनके पास रहने के लिए छत भी नहीं है। हम हर दिन कमाते है और हर दिन रोटी का जुगाड़ करते है। हमें अपना पेट भरने के लिए सरकार पर निर्भर होना पड़ता है। सरकारी योजनाओं के बिना हमारे घर चूल्हा नहीं जलता।

शराब की दुकानें खुली, सोशल डिस्टेंसिंग की धज्जियां उड़ी, पड़े डंडे, कमाई भरपूर हुई!

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कोरोना वायरस से निपटने के लिए लॉकडाउन को 17 मई तक बढ़ा दी गयी है लेकिन कुछ राहत भी दी गयी है। लॉकडाउन 3.0 में कुछ शर्तों के साथ कई गतिविधियों में कुछ रियायत मिली है। लगभग 40 दिनों के बाद शराब की दुकानों को भी खोलने की इजाजत मिली थी।

रघुवर श्रवण बने तो हेमंत बने राम

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कहते हैं जो मंदिर-मस्जिद की यात्रा करवाए उसे पुण्य मिलता है। रघुवर जी ने अपने कार्यकाल में कुछ ऐसा ही किया, बुजुर्गों को तीर्थ कराया और सभी का आशीर्वाद उन्हें प्राप्त हुआ। अपने 5 साल के कार्यकाल में कई ऐसे काम किए जो सराहनीय है, पर चुनाव के परिणाम कुछ और बयान कर गए। वे अपनी सरकार ना बचा सके।