हम गरीब हैं साहब, दो वक्त की….

जी हां, हम हैं भारत के गरीब। जिन्हें दो वक्त की रोटी नसीब नहीं होती। जिनके पास रहने के लिए छत भी नहीं है। हम हर दिन कमाते है और हर दिन रोटी का जुगाड़ करते है। हमें अपना पेट भरने के लिए सरकार पर निर्भर होना पड़ता है। सरकारी योजनाओं के बिना हमारे घर चूल्हा नहीं जलता।

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शराब की दुकानें खुली, सोशल डिस्टेंसिंग की धज्जियां उड़ी, पड़े डंडे, कमाई भरपूर हुई!

कोरोना वायरस से निपटने के लिए लॉकडाउन को 17 मई तक बढ़ा दी गयी है लेकिन कुछ राहत भी दी गयी है। लॉकडाउन 3.0 में कुछ शर्तों के साथ कई गतिविधियों में कुछ रियायत मिली है। लगभग 40 दिनों के बाद शराब की दुकानों को भी खोलने की इजाजत मिली थी।

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रघुवर श्रवण बने तो हेमंत बने राम

कहते हैं जो मंदिर-मस्जिद की यात्रा करवाए उसे पुण्य मिलता है। रघुवर जी ने अपने कार्यकाल में कुछ ऐसा ही किया, बुजुर्गों को तीर्थ कराया और सभी का आशीर्वाद उन्हें प्राप्त हुआ। अपने 5 साल के कार्यकाल में कई ऐसे काम किए जो सराहनीय है, पर चुनाव के परिणाम कुछ और बयान कर गए। वे अपनी सरकार ना बचा सके।

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