हम गरीब हैं साहब, दो वक्त की….
जी हां, हम हैं भारत के गरीब। जिन्हें दो वक्त की रोटी नसीब नहीं होती। जिनके पास रहने के लिए छत भी नहीं है। हम हर दिन कमाते है और हर दिन रोटी का जुगाड़ करते है। हमें अपना पेट भरने के लिए सरकार पर निर्भर होना पड़ता है। सरकारी योजनाओं के बिना हमारे घर चूल्हा नहीं जलता।

