लद्दाख से झारखण्ड पहुंचे श्रमिक
लेह लद्दाख में हमारे झारखंड के श्रमिक जाकर हर वर्ष काम करते हैं, उन श्रमिकों के रहनुमा बने हमारे झारखंड सरकार के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन जिन्होंने इस कोराणा महामारी की विपदा में श्रमिकों को झारखंड लाने का काम किया है।
लेह लद्दाख में हमारे झारखंड के श्रमिक जाकर हर वर्ष काम करते हैं, उन श्रमिकों के रहनुमा बने हमारे झारखंड सरकार के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन जिन्होंने इस कोराणा महामारी की विपदा में श्रमिकों को झारखंड लाने का काम किया है।
मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन के प्रयास से लेह स्थित नुब्रा घाटी, चुनुथु घाटी, विजययक एवं हिमांक परियोजना कार्य में लगे संताल परगना के 208 श्रमिक झारखंड लौटेंगे। श्रमिकों के इस समूह को दो चरण में वापस अपने घर लाया जाएगा।
केंद्र और राज्य सरकार के पहल के पश्चात लॉक डाउन के वजह से मडगांव में फंसे झारखण्ड के विभिन्न जिलों के प्रवासी श्रमिकों को आज स्पेशल ट्रेन के माध्यम से जसीडीह स्टेशन पहुंचे।
झारखण्ड में हवाई जहाज से प्रवासी मजदूरों को विधिवत तरीके से लाने का सिलसिला शुरू हो चुका है। अब अंडमान में फंसे हुए प्रवासी मजदूरों को भी हवाई मार्ग से झारखंड लाने की पहल की जा रही है।
एयर एशिया के विमान से आज राज्य के 180 श्रमिक भाई बहन अपने परिवार के साथ झारखण्ड पहुंच गए। इससे पूर्व झारखण्ड ने सबसे पहले पहल कर ट्रेन के माध्यम से श्रमिकों को वापस अपने घर ला चुका है और यह क्रम अब भी जारी है।
यदि सरकारों ने और हर नागरिक ने अपनी जिम्मेदारी सही से निभायी होती, तो ना अब तक लॉकडाउन की तारीख़ बढ़ती, ना ही मजदुरों का पलायन होता, ना हम अपने घरों में अभी तक बंद होते और ना ही इतनी जानें जाती।
PTI फोटोग्राफर अतुल यादव द्वारा ली गई एक वायरल तस्वीर में एक प्रवासी मजदूर सड़क किनारे बैठा हुआ, अपने फोन पर रोता हुआ दिखा। इस प्रवासी मजदूर की पहचान बिहार के राम पुकार पंडित के रूप में की गयी। राम पुकार पंडित के एक साल के बेटे का निधन हो गया और वह उसे देखने अपने गांव नहीं पहुँच पाया। राम पुकार दिल्ली में काम करता था और उसने घर लौटने की कोशिश की लेकिन उसे यूपी गेट पर रोक दिया गया।
उत्तर प्रदेश के औरैया में गांव लौट रहे मजदूरों से साथ भीषण हादसा हुआ। एक चाय की दुकान पर खड़े मजदूरों पर एक ट्रेलर पलटने से 23 मजदूरों की मौत हो गई। हादसे में 35 मजदूर घायल हैं। हादसा शहर कोतवाली क्षेत्र के नेशनल हाईवे 2 पर हुआ। ट्रेलर में चूना लदा था। बताया जा रहा है हादसे के शिकार मजदूर भी एक ट्रक से दिल्ली से बिहार, झारखंड और पश्चिम बंगाल जा रहे थे।
कल International Day of Families था। यानी परिवार के साथ एक दिन गुजरने का दिन। यह शायद इसलिए भी मनाया जाता है क्योंकि जिम्मेदारियों को निभाते निभाते हम परिवार को समय नहीं दे पाते। काम का तनाव, पैसे कमाने की जद्दोजहद, जिम्मेदारियों को पूरा करते करते वक़्त कब निकल जाता पता ही नहीं चलता।
देश में कोरोना वायरस को रोकने के लिए लगाए गए लॉकडाउन की वजह से देश के औद्योगिक शहरों में लाखों की संख्या में प्रवासी मजदूर फंस गए हैं। सरकार इन प्रवासी मजदूरों को इनके मूल राज्यों में पहुंचाने के लिए श्रमिक स्पेशल ट्रेनों का संचालन कर रही हैं। हालांकि, इसके बाद भी हजारों मजदूर ऐसे हैं जो
प्रवासी मजदूरों को चेन्नई से लेकर श्रमिक स्पेशल ट्रेन आज दिनांक 13 मई 2020 को हटिया स्टेशन पहुँची। इस ट्रेन से झारखंड के विभिन्न ज़िलों के 1037 प्रवासी मज़दूर अपने राज्य लौटे। प्रवासी मज़दूरों को विभिन्न बसों से उनके सम्बंधित ज़िलों के लिए रवाना किया गया।
महाराष्ट्र के औरंगाबाद में शुक्रवार को मालगाड़ी की चपेट में आने से चौदह प्रवासी श्रमिक मारे गए और पांच अन्य घायल हो गए। पुलिस ने कहा कि वे रेल की पटरियों पर चल रहे थे और थकावट के कारण रेल की पटरियों पर सो रहे थे।