झारखंड में अब वही योजनाएं चलेगी जिसका सीधा फायदा गरीबों को होगा। ये बातें मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने सत्ता संभालने के तुरंत बाद कही थी। इस बाबत उन्होंने राज्य में तत्कालीन सरकार द्वारा चलाये गए सभी योजनाओं की अधिकारियों के साथ समीक्षा भी की थी। आखिरकार 15 मई 2020 को राज्य में चल रही ₹1 रुपये में महिलाओं के नाम 50 लाख तक की सम्पति की रजिस्ट्री को सरकार ने वापस ले लिया।
सत्ता पक्ष की दलील है कि इस योजना का लाभ गरीबों से कहीं ज्यादा वैसे लोगों को हुआ जो जमीन खरीद बिक्री का काम करते है या फिर समृद्ध है। हर वर्ष इस योजना के कारण राज्य को 600 करोड़ का नुकसान हुआ है। ऐसे में इस योजना को चलाने का कोई औचित्य नहीं है। इस योजना के पीछे रघुवर सरकार की मंशा महिलाओं को स्वाबलंबी बनाना था साथ ही महिलाओं को घर की मालकिन बना कर उन्हें एक सम्मान देना था। 19 जून 2017 से यह योजना राज्य में लागू हुई थी, तब से लेकर मार्च 2020 तक राज्य में करीब 70 फ़ीसदी यानी 1.75 लाख के डीड की एक रुपए में रजिस्ट्री की गई थी। इसमें करीब ₹1400 करोड़ का नुकसान हुआ।
झारखंड देश का पहला ऐसा राज्य था, जहां पर सिर्फ एक रुपये में ही महिलाएं संपत्ति की मालकिन बन जाया करती थी। सरकार कि इस योजना से राज्य की लगभग ढाई लाख महिलाएं अपनी सम्पति की मालकिन बन गई थी। बता दें कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नारी सशक्तिकरण के लिए महिलाओं के नाम पर घर-जमीन की रजिस्ट्री की अपील की थी। जिसके बाद 2017 में झारखंड कैबिनेट ने सिर्फ एक रुपये में महिलाओं को रजिस्ट्री सुविधा देने का फैसला किया था।