वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बजट 2025-26 में मध्यम वर्ग को बड़ी राहत देते हुए आयकर में अहम बदलावों की घोषणा की है। उन्होंने बताया कि 12 लाख रुपये तक की वार्षिक आमदनी अब कर-मुक्त होगी। साथ ही, जब स्टैंडर्ड डिडक्शन को इसमें जोड़ा जाएगा, तो 12.75 लाख रुपये तक की कर योग्य आय पर भी कोई टैक्स नहीं लगेगा।
आयकर स्लैब में बदलाव, मध्यम वर्ग को फायदा
सरकार ने व्यक्तिगत आयकर प्रणाली में सुधार करते हुए नई कर व्यवस्था के तहत 12 लाख रुपये तक की आय को शून्य कर श्रेणी में रखा है। वित्त मंत्री ने कहा कि इस बदलाव से मध्यम वर्ग को अधिक बचत और निवेश का अवसर मिलेगा, जिससे घरेलू खपत भी बढ़ेगी।
वरिष्ठ नागरिकों को टीडीएस में राहत
वित्त मंत्री ने टीडीएस (TDS) की सीमा में बदलाव की घोषणा की है, जिससे वरिष्ठ नागरिकों को विशेष लाभ मिलेगा।
🔹 पहले 50,000 रुपये तक की ब्याज आय पर TDS छूट मिलती थी, जिसे अब 1 लाख रुपये तक बढ़ा दिया गया है।
🔹 किराए से होने वाली आय पर भी राहत दी गई है – पहले 2.4 लाख रुपये तक की आय पर TDS नहीं लगता था, लेकिन अब यह सीमा 6 लाख रुपये कर दी गई है।
टीडीएस और रिटर्न दाखिल करने में भी संशोधन
- नॉन-पैन मामलों में उच्च टीडीएस के प्रावधान जारी रहेंगे।
- अपडेटेड रिटर्न दाखिल करने की सीमा को 2 साल से बढ़ाकर 4 साल कर दिया गया है।
बजट 2024 की तुलना में कितना बदलाव?
पिछले बजट में 7.75 लाख रुपये तक की वार्षिक आय को कर-मुक्त रखा गया था, जिसमें स्टैंडर्ड डिडक्शन के बाद 7 लाख रुपये तक टैक्स से छूट मिलती थी। अब, 12.75 लाख रुपये तक की कर योग्य आय पर भी टैक्स छूट मिलने से वेतनभोगी वर्ग को बड़ी राहत मिलेगी।
छोटे करदाताओं को भी राहत
किराये से आमदनी पर टीडीएस छूट की सीमा 2.4 लाख से 6 लाख रुपये करने से छोटे मकान मालिकों और किराये की आय पर निर्भर करदाताओं को लाभ मिलेगा।
सरकार का उद्देश्य
इस बजट के तहत सरकार का मुख्य उद्देश्य मध्यम वर्ग पर कर बोझ को कम करना, घरेलू बचत को प्रोत्साहित करना और अर्थव्यवस्था में उपभोग बढ़ाना है। इससे न केवल वेतनभोगी करदाताओं को राहत मिलेगी, बल्कि देश की आर्थिक गति भी तेज होगी।