बिहार के मोकामा निवासी CISF जवान पुनीत कुमार को उनकी वीरता और साहस के लिए 10 मार्च को चेन्नई में आयोजित CISF स्थापना दिवसकार्यक्रम में राष्ट्रपति वीरता पदक से सम्मानित किया जाएगा। यह सम्मान उन्हें 22 अप्रैल 2022 को जम्मू-कश्मीर के सुजवां चेक पोस्ट पर आतंकियों से हुई मुठभेड़ में बहादुरी दिखाने के लिए दिया जा रहा है।
दो गोली लगने के बाद भी दो आतंकियों को मार गिराया
सुजवां चेक पोस्ट पर आतंकियों ने अचानक अंधाधुंध फायरिंग शुरू कर दी थी। इस हमले में पुनीत के दाहिने हाथ में दो गोलियां लगीं, लेकिन उन्होंने पीछे हटने के बजाय मोर्चा संभाला और दो आतंकियों को ढेर कर दिया। उनकी इस वीरता के लिए उन्हें देश के सर्वोच्च वीरता सम्मानों में से एक प्रदान किया जा रहा है।
पहले भी हो चुके हैं सम्मानित
पुनीत को इससे पहले 15 अगस्त 2024 को GAIL द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम में CISF के डिप्टी कमांडेंट अशोक सिंह और GAIL के ईडी प्रवीर कुमार ने भी सम्मानित किया था। अब राष्ट्रपति के हाथों वीरता पदक मिलना उनके अद्वितीय साहस की राष्ट्रीय स्तर पर मान्यता का प्रतीक है।
ट्रेनिंग ने दी थी संकट में डटे रहने की ताकत
मीडिया से बातचीत के दौरान पुनीत ने बताया कि CISF की ट्रेनिंग में ऐसे हालातों से निपटना सिखाया जाता है। हमले के दौरान सभी जवान एक पल के लिए हैरान हुए, लेकिन तुरंत मोर्चा संभाल लिया और जवाबी कार्रवाई शुरू कर दी। इस मुठभेड़ में उनके सहयोगी SI शंकर प्रसाद पटेल शहीद हो गए, लेकिन पुनीत ने आतंकियों को भागने का कोई मौका नहीं दिया।
प्रेरणादायक है पुनीत का सफर
पुनीत कुमार का सफर युवाओं के लिए प्रेरणादायक है। उन्होंने 2017 में पहले ही प्रयास में CISF में कॉन्स्टेबल पद पर भर्ती होकर भिलाई में अपनी पहली पोस्टिंग पाई। बाद में वे दिल्ली मेट्रो में ड्यूटी करने के बाद 2022 में जम्मू-कश्मीर की इंटरनल सिक्योरिटी ड्यूटी पर तैनात किए गए थे।
राष्ट्र के प्रति समर्पण का सम्मान
राष्ट्रपति वीरता पदक से सम्मानित किए जाने के बाद पुनीत कुमार का नाम देश के उन वीर सपूतों में शामिल हो जाएगा, जिन्होंने कर्तव्य पथ पर अपने प्राणों की परवाह किए बिना देश की रक्षा की। उनका यह सम्मान ना सिर्फ CISF बल्कि पूरे भारत के वीर जवानों के लिए गर्व का विषय है।