“इतिहास का सबसे बड़ा घोटाला”: पीएम के सलाहकार ने USAID पर साधा निशाना, DOGE के “इंडिया वोटर” फंड्स के दावे पर उठाए सवाल

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अमेरिकी डिपार्टमेंट ऑफ गवर्नमेंट एफिशिएंसी (DOGE), जिसका नेतृत्व दुनिया के सबसे अमीर व्यक्ति एलन मस्क कर रहे हैं, ने दावा किया है कि उसने भारत में “वोटर टर्नआउट को प्रभावित करने” के लिए दिए जाने वाले अमेरिकी फंड को रद्द कर दिया है। इस दावे ने प्रधानमंत्री के सलाहकार का ध्यान आकर्षित किया, जिन्होंने USAID को “मानव इतिहास का सबसे बड़ा घोटाला” बताया।

बाइडेन प्रशासन के दौरान मानवीय सहायता के लिए दी गई अमेरिकी फंडिंग में अनियमितताओं की जांच कर रहे DOGE ने एक दिन पहले कहा कि उसने कई देशों में विभिन्न परियोजनाओं के लिए आवंटित फंड रद्द कर दिए हैं। इनमें भारत में “वोटर टर्नआउट” के लिए $21 मिलियन, बांग्लादेश में “राजनीतिक परिदृश्य को मजबूत करने” के लिए $29 मिलियन और नेपाल में “वित्तीय संघवाद” के लिए $20 मिलियन शामिल थे।

USAID, जो अमेरिकी सरकार की सबसे बड़ी मानवीय सहायता एजेंसी है, DOGE के निशाने पर है। यह ट्रंप प्रशासन द्वारा संघीय खर्च में कटौती के लिए उठाए गए सख्त कदमों का हिस्सा है।

“भारत की चुनावी प्रक्रिया में बाहरी हस्तक्षेप?”

DOGE के इस दावे के बाद भारत की सत्तारूढ़ पार्टी बीजेपी ने “बाहरी हस्तक्षेप” का मुद्दा उठाया, जबकि पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त ने इसे “बेबुनियाद” करार दिया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आर्थिक सलाहकार परिषद के सदस्य संजीव सान्याल ने रविवार को सवाल उठाया कि भारत में $21 मिलियन की यह राशि आखिर किसे मिली।

सान्याल ने USAID को “इतिहास का सबसे बड़ा घोटाला” बताते हुए कहा, “मुझे जानकर खुशी होगी कि भारत में ‘वोटर टर्नआउट’ बढ़ाने के लिए $21 मिलियन, बांग्लादेश में ‘राजनीतिक परिदृश्य मजबूत करने’ के लिए $29 मिलियन और नेपाल में ‘वित्तीय संघवाद’ सुधारने के लिए $20 मिलियन की राशि आखिर कहां गई?”

“इसमें कोई सच्चाई नहीं”: पूर्व चुनाव आयुक्त का बयान

संजीव सान्याल की इस टिप्पणी से पहले भारत के पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त एस.वाई. कुरैशी ने इस दावे को पूरी तरह खारिज कर दिया था। उन्होंने कहा, “कुछ मीडिया रिपोर्ट्स में यह दावा किया जा रहा है कि 2012 में चुनाव आयोग और एक अमेरिकी एजेंसी के बीच एक समझौता (MoU) हुआ था, जिसके तहत भारत में वोटर टर्नआउट बढ़ाने के लिए फंडिंग की गई। इस दावे में एक प्रतिशत भी सच्चाई नहीं है।”

उन्होंने स्पष्ट किया कि 2012 में इंटरनेशनल फाउंडेशन फॉर इलेक्टोरल सिस्टम्स (IFES) के साथ एक एमओयू हुआ था, जो प्रशिक्षण सुविधाओं से संबंधित था, लेकिन इसमें किसी प्रकार की वित्तीय सहायता या फंडिंग का कोई जिक्र नहीं था।

BJP का आरोप: “भारत की संस्थाओं में विदेशी दखल”

बीजेपी ने DOGE द्वारा उठाए गए इस मुद्दे पर आगे सवाल उठाए हैं। पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता अमित मालवीय ने इसे “विदेशी शक्तियों द्वारा भारत की संस्थाओं में व्यवस्थित घुसपैठ” करार दिया।

उन्होंने अरबपति निवेशक जॉर्ज सोरोस और उनके वैश्विक प्रभाव नेटवर्क पर भी निशाना साधते हुए कहा कि “उनकी छाया भारत की चुनावी प्रक्रिया पर मंडरा रही है।”

मालवीय ने आरोप लगाया, “यह स्पष्ट होता जा रहा है कि कांग्रेस के नेतृत्व वाले यूपीए शासन ने भारत की संस्थाओं में उन ताकतों को घुसपैठ करने दिया जो देश के हितों के खिलाफ काम कर रही थीं और हर मौके पर भारत को कमजोर करने की कोशिश कर रही थीं।”

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