आज फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि है, और पूरे देश में महाशिवरात्रि का पावन पर्व श्रद्धा और भक्ति के साथ मनाया जा रहा है। इसी के साथ, महाकुंभ का समापन भी आज हो रहा है। आइए जानते हैं महाशिवरात्रि पूजन, जलाभिषेक के शुभ मुहूर्त, पूजा विधि, आरती, चालीसा और मंत्रों से जुड़ी संपूर्ण जानकारी।
महाशिवरात्रि और चंद्र दोष का संबंध
शास्त्रों के अनुसार, महाशिवरात्रि के दिन चंद्रमा अपनी सबसे कमजोर अवस्था में होता है। इसलिए भगवान शिव ने उसे अपने मस्तक पर धारण किया, जिससे उसकी शक्ति बढ़ी। मान्यता है कि इस दिन शिव आराधना करने से कुंडली से चंद्र दोष समाप्त होता है और व्यक्ति को मानसिक शांतिप्राप्त होती है।
महाशिवरात्रि व्रत का महत्व
इस दिन सच्चे मन से व्रत रखने और भगवान शिव एवं माता पार्वती की पूजा करने से व्यक्ति अपने सभी कष्टों से मुक्ति पाता है।
- अविवाहित कन्याओं के लिए यह व्रत अत्यंत लाभकारी माना जाता है, जिससे मनचाहा वर और शीघ्र विवाह के योग बनते हैं।
- शिव उपासना करने से सभी पापों से मुक्ति मिलती है और मोक्ष की प्राप्ति होती है।
महाशिवरात्रि पूजा के लिए आवश्यक सामग्री
पूजा से पहले सभी आवश्यक सामग्रियों को एकत्रित कर लेना चाहिए। प्रमुख वस्तुएं इस प्रकार हैं:
✅ धूप, दीप, अक्षत, घी, बेलपत्र, भांग, बेर
✅ गंगा जल, कपूर, चंदन, पंच मिष्ठान, पंच मेवा
✅ दूध, ईख का रस, शहद, जौ की बालियां, मौली, जनेऊ
✅ शिव एवं माता पार्वती के श्रृंगार की सामग्री, आम्र मंजरी, फल-फूल
✅ धतूरा, तुलसी दल, इत्र, गंध रोली, पान, सुपारी, लौंग, इलायची, वस्त्राभूषण
महाशिवरात्रि 2025 के पूजन और जलाभिषेक के शुभ मुहूर्त
📌 प्रातःकालीन ध्यान मुहूर्त: सुबह 11:06 बजे से दोपहर 12:35 बजे तक
📌 संध्याकालीन पूजा मुहूर्त: दोपहर 3:25 बजे से शाम 6:08 बजे तक
📌 रात्रिकालीन जलाभिषेक मुहूर्त: रात 8:54 बजे से 12:01 बजे तक
इस पावन अवसर पर भगवान शिव की आराधना करें, व्रत का पालन करें और अपने जीवन में सुख, शांति और समृद्धि प्राप्त करें। 🚩🙏