नेपाल के एक छात्र का जोशीला भाषण सोशल मीडिया पर तेज़ी से वायरल हो रहा है। अबिष्कार राउत नाम के इस छात्र ने अपने स्कूल होली बेल स्कूल के 24वें वार्षिक समारोह में एक ज्वलंत भाषण दिया, जिसमें उन्होंने हिमालयी राष्ट्र की राजनीतिक और आर्थिक चुनौतियों पर चिंता जताई।
“आज मैं एक नए नेपाल के सपने के साथ खड़ा हूं…”
अपने भाषण में राउत ने कहा,
“आज मैं यहां एक नए नेपाल के निर्माण का सपना लेकर खड़ा हूं। मेरे भीतर आशा और जुनून की आग जल रही है, लेकिन मेरा दिल भारी है क्योंकि यह सपना मुझसे दूर होता जा रहा है।”
उन्होंने खुद को स्कूल का हेड बॉय बताते हुए कहा,
“मैं आपके सामने इस अंधेरे को भेदने और चेतना में रोशनी फैलाने के लिए खड़ा हूं। मैं यहां एक ऐतिहासिक बदलाव को अमर करने और इतिहास की दिशा बदलने के लिए उपस्थित हूं।”
नेपाल को माँ बताते हुए पूछा – हमने देश को क्या लौटाया?
राउत ने नेपाल को माँ के समान बताते हुए कहा,
“नेपाल, हमारी माँ, जिसने हमें जन्म दिया, हमें पाला-पोसा, उसने बदले में हमसे क्या माँगा? सिर्फ हमारी ईमानदारी, हमारी मेहनत, हमारा योगदान। लेकिन हम क्या कर रहे हैं?”
उन्होंने बेरोजगारी और भ्रष्टाचार पर चोट करते हुए कहा,
“हम बेरोजगारी की बेड़ियों में जकड़े हुए हैं… राजनीतिक दलों के स्वार्थी खेलों में फंसे हुए हैं। भ्रष्टाचार ने एक ऐसा जाल बुन दिया है, जो हमारे भविष्य की रोशनी को बुझा रहा है।”
सोशल मीडिया की प्रतिक्रियाएँ
इस भाषण पर सोशल मीडिया में जबरदस्त प्रतिक्रिया देखने को मिली। कुछ लोगों ने राउत की आत्मविश्वास भरी आवाज़ और भाषा शैली की तारीफकी, तो कुछ ने उनकी शैली की एक विशेष ऐतिहासिक नेता से तुलना कर दी।
- “जिनके पास ज़रा भी आत्मविश्वास नहीं है, वही उनका मज़ाक उड़ा रहे हैं—यह विडंबना खो नहीं सकती!” एक यूज़र ने लिखा।
- “उनकी स्पीच किसी की याद दिलाती है…एक आदमी जिसकी मूंछें अजीब थीं।”
- “भाई, यह वार्षिक समारोह है, कोई अधिग्रहण (annexation) नहीं।”
नेपाल में हिंदू राजशाही की वापसी की माँग
राउत का यह भाषण ऐसे समय में आया है जब नेपाल में आम नागरिकों द्वारा हिंदू राजशाही की वापसी की माँग तेज़ हो रही है। हजारों लोग सड़कों पर उतरकर ग्यानेंद्र शाह को दोबारा राजा बनाने की माँग कर रहे हैं। लोग राजनीतिक अस्थिरता, भ्रष्टाचार, महंगाई, बेरोजगारी और आर्थिक ठहराव से परेशान हैं।
गौरतलब है कि लगभग 17 साल पहले, मई 2008 में, नेपाल ने अपनी 239 साल पुरानी हिंदू राजशाही को समाप्त कर दिया था। यह कदम 10 साल चले गृहयुद्ध के बाद उठाया गया था, जिसमें **16,000