शंघाई ऑटो शो: सेल्फ-ड्राइविंग फीचर्स पर सख्ती और ट्रेड वॉर ने बढ़ाई चिंता

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दुनिया के सबसे बड़े कार बाजार चीन में हर साल लगने वाले ऑटो शो अब सस्ते और बेहतरीन इलेक्ट्रिक व्हीकल्स के साथ घरेलू ब्रांड्स की मजबूती का मंच बन चुके हैं। लेकिन इस बार शंघाई ऑटो शो की शुरुआत गहरे अनिश्चितता के माहौल में हुई है। इसकी वजह है अमेरिका-चीन ट्रेड वॉर, जो कारों की मांग पर असर डाल सकता है और सप्लाई चेन को भी उलझा सकता है। इस साल 100 से ज्यादा नई कारें पहले से भीड़ भरे बाजार में उतारी जा रही हैं, जहां पहले ही जीतने वालों से ज्यादा हारने वाले हैं।

सेल्फ-ड्राइविंग फीचर्स पर सख्ती एक और नई चुनौती तब आई, जब चाइनीज रेगुलेटर्स ने स्मार्ट ड्राइविंग और ऑटोनोमस ड्राइविंग जैसे मार्केटिंग शब्दों पर रोक लगाने का आदेश दे दिया। दरअसल, मार्च में Xiaomi SU7 EV से जुड़े एक हादसे के बाद ये सख्ती की गई, जिससे सेल्फ-ड्राइविंग फीचर्स को लेकर लोगों में डर बैठ गया है।

अब तक कई चीनी कंपनियां अपनी कारों को प्रतिस्पर्धियों से अलग दिखाने के लिए इन उन्नत ड्राइविंग सिस्टम्स को सस्ते मॉडलों में भी देने की होड़ में थीं। Xpeng ने ड्राइवरों को इन सिस्टम्स का सुरक्षित इस्तेमाल सिखाने के लिए ‘ट्रेनिंग कैंप’ शुरू करने का ऐलान किया। वहीं Geely इस साल के आखिर तक दुनिया की सबसे बड़ी कार सेफ्टी लैब तैयार करेगी।

ट्रेड वॉर की मार अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा चीनी कारों पर 145% टैरिफ लगाने और चीन की जवाबी पाबंदियों ने ऑटो इंडस्ट्री को नई मुश्किलों में डाल दिया है। अमेरिका की ऑटो इंडस्ट्री ने ट्रंप को पत्र लिखकर ऑटो पार्ट्स पर 25% टैरिफ हटाने की मांग की है, क्योंकि इससे कारों के दाम बढ़ेंगे और बिक्री घटेगी।

चीन में अभी EV डिमांड बरकरार ट्रेड वॉर के बावजूद चीन में इस साल अब तक कारों की मांग बनी हुई है। जनवरी से मार्च तक 12.5% की ग्रोथ हुई है। BYD और Geely जैसी घरेलू कंपनियां लगातार बेहतर प्रदर्शन कर रही हैं। हालांकि, Honda और Nissan जैसी विदेशी कंपनियों की बिक्री में 34% और 28% की गिरावट दर्ज की गई है।

चीन बना सबसे बड़ा कार निर्यातक अब चीन दुनिया का सबसे बड़ा कार निर्यातक भी बन गया है। मगर अमेरिका में भारी टैरिफ की वजह से वहां की मार्केट लगभग बंद है। इसके अलावा अमेरिका के दबाव में दूसरे देशों द्वारा भी चीन की कारों पर पाबंदियां लगने का खतरा मंडरा रहा है।

Tesla को झटका Tesla को भी ट्रेड वॉर का झटका लगा है। चीन में इसकी बिक्री 22% गिर चुकी है। टेस्ला ने अपनी Model S और Model Xकी बुकिंग रोक दी है। कंपनी के CEO एलन मस्क ने बताया कि Optimus ह्यूमनॉयड रोबोट का प्रोडक्शन प्लान भी चीन की रेयर अर्थ मैग्नेट्स पर लगे एक्सपोर्ट प्रतिबंध की वजह से अटक गया है।

70 से ज्यादा ब्रांड्स की होगी भिड़ंत इस बार के शो में 70 से ज्यादा चाइनीज और इंटरनेशनल ब्रांड्स 100 से ज्यादा नई या फेसलिफ्टेड कारें पेश कर रहे हैं। हालांकि BYD, Chery, Geely, Leapmotor और Li Auto जैसी कुछ ही कंपनियां मुनाफे में हैं।

ज्यादातर कंपनियां अभी भी घाटे में जानकारों के मुताबिक, चीन में 160 से ज्यादा कार ब्रांड हैं, लेकिन इनमें से 10% से भी कम का मार्केट शेयर 2% से ऊपर है। यानी ज़्यादातर कंपनियां नुकसान झेल रही हैं।

नतीजा शंघाई ऑटो शो इस बार तकनीक और इनोवेशन से ज्यादा सेफ्टी और ट्रेड वॉर की चर्चा के साए में है। चीन की घरेलू कंपनियां नए EV लॉन्च कर बाज़ार पर पकड़ मजबूत करने में जुटी हैं, जबकि विदेशी कंपनियों के लिए चीन की जमीन और मुश्किल होती जा रही है।

अगर चाहें तो मैं इसी पर एक हिंदी हेडलाइन या सोशल मीडिया पोस्ट भी बना सकता हूँ। बताइए?

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