इसे भगवान की बिडम्बना कहें या सरकारी तंत्र की उदाशीनता कि मात्र दो महीने में ही भूखल घासी के घर से दो कमाऊ व्यक्ति की जान चली गयी। 6 मार्च 2020 को जहां भूखल घासी की मौत भूख से हो गयी थी वहीं ठीक दो महीने बाद भूखल घासी के बेटे नितेश घासी की मौत लंबी बीमारी से हो गयी है। मौत के बाद भी स्वास्थ्य कर्मियों ने उसका पोस्टमार्टम करना उचित नही समझा। मेरी सरकार से मांग है कि पहले नितेश घासी का पोस्टमार्टम करवाये और तब तक उसके परिवार को आर्थिक मदद की व्यवस्था की जाए। उक्त मांगें चंदनकियारी विधायक सह पूर्व मंत्री अमर कुमार बाउरी ने कही।
उन्होंने कहा कि पूर्व में भी सरकार ने भूखल घासी की मौत पर पर्दा डालने की कोशिश की थी। लेकिन विपक्ष के दवाब में सरकार ने माना कि भूखल की मौत भूख से हुई थी। इस मामले पर सरकार से आर्थिक सहायता की मांग भी विपक्ष ने की थी। वहीं मात्र दो महीने के अंदर ही भूखल घासी के बेटे की मौत से उसका पूरा परिवार बिखर गया है।
विधायक अमर कुमार बाउरी ने इस मामले पर त्वरित कार्रवाई की मांग सरकार से की है। ज्ञात हो कि 6 मार्च 2020 को भूखल घासी की मौत हो गयी थी, वही 6 मई 2020 को उसके छोटे बेटे नितेश घासी की मौत हो गयी है। इस पूरे मामले में विपक्ष ने सरकार से इस पर जांच करवाने की मांग विधान सभा बजट सत्र के दौरान की थी। एक बार फिर नितेश घासी की मौत ने सरकार के स्वास्थ्य तंत्र पर सवाल खड़े कर दिए है।