उत्तराखंड के चमोली जिले में आए हिमस्खलन (एवलांच) में फंसे चार मजदूरों को बचाने के लिए रविवार सुबह फिर से रेस्क्यू ऑपरेशन शुरू किया गया। ये चारों मजदूर पिछले 48 घंटे से लापता हैं। लापता मजदूरों की पहचान हरमेश चंद (हिमाचल प्रदेश), अशोक (उत्तर प्रदेश), अनिल कुमार और अरविंद सिंह (उत्तराखंड) के रूप में हुई है।
हिमस्खलन में दबे 54 मजदूर, अब भी 4 लापता
यह हिमस्खलन शुक्रवार को बॉर्डर रोड ऑर्गेनाइजेशन (BRO) के मजदूर शिविर के पास हुआ, जो माणा गांव के नजदीक, बद्रीनाथ मंदिर से लगभग 5 किमी दूर स्थित है। हादसे के वक्त 54 मजदूर वहां मौजूद थे, जो 8 कंटेनरों और एक शेड के अंदर काम कर रहे थे।
रेस्क्यू टीमों ने शुक्रवार रात तक 33 मजदूरों को और शनिवार को 17 मजदूरों को सुरक्षित बाहर निकाल लिया। हालांकि, चार मजदूरों – मोहिंद्र पाल और जीतेंद्र सिंह (हिमाचल प्रदेश), मंजीत यादव (उत्तर प्रदेश) और आलोक यादव (उत्तराखंड) की इलाज के दौरान मौत हो गई।
माइनस 12 डिग्री में राहत अभियान, हेलिकॉप्टर से बचाव कार्य
भारी बारिश और माइनस 12 डिग्री तापमान पर लगातार हो रही बर्फबारी से रेस्क्यू ऑपरेशन में मुश्किलें आ रही हैं। रात के समय ऑपरेशन रोकना पड़ा, लेकिन सुबह होते ही बचाव कार्य फिर से शुरू किया गया।
शनिवार को बचाव कार्य भारतीय सेना और वायु सेना के हेलिकॉप्टरों के जरिए किया गया, क्योंकि बर्फबारी के चलते सड़क मार्ग बाधित हो गया था।
200 से अधिक बचावकर्मी – सेना, आईटीबीपी, बीआरओ, एनडीआरएफ, एसडीआरएफ, जिला प्रशासन, स्वास्थ्य विभाग और दमकल विभाग की टीमें राहत कार्यों में जुटी हुई हैं।
इस ऑपरेशन में 6 हेलिकॉप्टर शामिल हैं –
- भारतीय सेना के 3 हेलिकॉप्टर
- वायु सेना के 2 हेलिकॉप्टर
- एक सिविल हेलिकॉप्टर (आर्मी द्वारा किराए पर लिया गया)
इसके अलावा, RECCO रडार, ड्रोन और विशेष रूप से प्रशिक्षित एवलांच रेस्क्यू डॉग्स का भी इस्तेमाल किया जा रहा है।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने किया हवाई सर्वेक्षण
शनिवार को उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने एवलांच प्रभावित इलाके का हवाई सर्वेक्षण किया और राहत कार्यों की समीक्षा की। उन्होंने अधिकारियों को तेजी से बचाव अभियान जारी रखने के निर्देश दिए हैं।
बचे हुए मजदूरों ने सुनाई खौफनाक दास्तान
माणा गांव के पास कंटेनर में रह रहे 54 मजदूरों में से एक मनोज भंडारी ने बताया कि वह अचानक जागे और देखा कि पहाड़ से बर्फ का एक बड़ा सैलाब नीचे आ रहा था।
उन्होंने कहा, “मैंने तुरंत चिल्लाकर सबको सतर्क किया और पास खड़ी लोडर मशीन के पीछे जाकर खुद को बचाने की कोशिश की।”
वहीं, एक अन्य मजदूर गोपल जोशी ने कहा, “सब कुछ पलक झपकते ही हो गया। सुबह 6 बजे के आसपास बाहर बर्फ गिर रही थी। जैसे ही हम कंटेनर से बाहर निकले, एक तेज गड़गड़ाहट सुनाई दी। ऊपर की ओर देखा तो बर्फ का एक विशाल पहाड़ हमारी तरफ आ रहा था। मैं अपने साथियों को सतर्क करने के लिए चिल्लाया और भागा, लेकिन चारों तरफ पहले से ही कई फीट बर्फ थी, जिससे तेज दौड़ना मुश्किल हो गया। करीब दो घंटे बाद आईटीबीपी के जवान हमें बचाने पहुंचे।”
विपिन कुमार, जो करीब 15 मिनट तक बर्फ में दबे रहे, ने कहा कि उन्हें लग रहा था कि अब बचना मुश्किल है, लेकिन आखिरकार उन्हें रेस्क्यू कर लिया गया।
रेस्क्यू टीमें लगातार राहत कार्य में जुटी हैं और लापता चार मजदूरों को जल्द से जल्द बचाने की कोशिश जारी है।