अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने सोमवार को यूक्रेन को दी जाने वाली सैन्य सहायता पर रोक लगाने का फैसला किया, जिससे कीव पर रूस के साथ शांति वार्ता के लिए दबाव बढ़ गया है। यह कदम उस समय उठाया गया है जब ट्रंप और यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोडिमिर ज़ेलेंस्की के बीच सार्वजनिक रूप से तीखी बहस हो चुकी है। ट्रंप युद्ध को जल्द समाप्त करना चाहते हैं और उन्होंने संकेत दिया था कि वह सहायता पर रोक लगा सकते हैं।
व्हाइट हाउस के एक अधिकारी ने एएफपी को बताया, “राष्ट्रपति स्पष्ट रूप से शांति पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं। हमें अपने साझेदारों से भी उसी लक्ष्य के प्रति प्रतिबद्धता की उम्मीद है। हम यह सुनिश्चित करने के लिए सहायता की समीक्षा कर रहे हैं कि यह समाधान में योगदान दे रही है।”
इस कदम की अमेरिकी कांग्रेस में डेमोक्रेट्स ने कड़ी निंदा की और इसे “खतरनाक और अवैध” बताया। हाउस फॉरेन अफेयर्स कमेटी के शीर्ष डेमोक्रेट सदस्य ग्रेगरी मीक्स ने कहा, “मेरे रिपब्लिकन सहयोगियों को, जिन्होंने पुतिन को युद्ध अपराधी कहा और यूक्रेन को समर्थन देने का वादा किया, ट्रंप से इस अवैध और विनाशकारी रोक को हटाने की मांग करनी चाहिए।”
ट्रंप ने ज़ेलेंस्की को चेतावनी देते हुए कहा कि वह उनका रवैया ज्यादा दिनों तक सहन नहीं करेंगे और यूक्रेन को अमेरिकी समर्थन के प्रति “अधिक आभारी” होना चाहिए। व्हाइट हाउस में बोलते हुए उन्होंने कहा, “ज़ेलेंस्की ज्यादा दिनों तक नहीं टिकेंगे अगर उन्होंने रूस के साथ युद्धविराम समझौता नहीं किया।”
यूरोपीय देशों की प्रतिक्रिया
इस फैसले के बाद यूरोप में चिंता बढ़ गई है। ब्रिटेन और फ्रांस एक “एक महीने के युद्धविराम प्रस्ताव” पर विचार कर रहे हैं, जिसमें समुद्र, वायु और ऊर्जा ढांचे पर हमले रोकने की योजना शामिल हो सकती है।
ज़ेलेंस्की ने कहा कि शांति समझौते को लेकर अभी बातचीत शुरुआती चरण में है और कोई ठोस सहमति नहीं बनी है। उन्होंने कहा, “युद्ध को समाप्त करने के लिए कड़े सुरक्षा गारंटी जरूरी हैं।”
रूस ने ज़ेलेंस्की की टिप्पणियों को खारिज करते हुए उन पर “शांति नहीं चाहने” का आरोप लगाया, जबकि अमेरिका में ट्रंप के समर्थकों ने भी इसी तरह की प्रतिक्रिया दी।
रूस और अमेरिका के बीच वार्ता पर चिंता
ट्रंप प्रशासन ने गुप्त रूप से रूस के साथ युद्ध समाप्त करने को लेकर वार्ता की है, जिससे यूक्रेन और यूरोपीय देशों में चिंता बढ़ गई है। संभावित समझौते में यूक्रेन की संप्रभुता को खतरा होने की आशंका जताई जा रही है।
यूक्रेनी अधिकारियों ने रूस के ताजा हमले में कई सैनिकों की मौत की भी पुष्टि की है। शनिवार को डनिप्रो के पास एक सैन्य प्रशिक्षण केंद्र पर हुए मिसाइल हमले में 30 से 40 सैनिकों की जान गई और 90 से अधिक घायल हुए।
क्या यह ट्रंप की “सोची-समझी रणनीति” है?
जर्मनी के संभावित अगले चांसलर फ्रेडरिक मर्ज़ ने इसे “ट्रंप द्वारा जानबूझकर किया गया तनाव बढ़ाने का कदम” करार दिया है।
व्हाइट हाउस के इस अप्रत्याशित कदम से यूक्रेन की सैन्य स्थिति कमजोर हो सकती है और रूस को लाभ मिल सकता है। अब सवाल यह है कि क्या ज़ेलेंस्की अमेरिका के दबाव में आकर शांति वार्ता के लिए तैयार होंगे या यूक्रेन के लिए संघर्ष जारी रखेंगे?