भारत में अब स्मार्ट टीवी के लिए Google का Android OS और Play Store डिफॉल्ट ऑपरेटिंग सिस्टम और ऐप स्टोर नहीं होंगे। यह फैसला भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग (CCI) द्वारा Google की “एकाधिकारपूर्ण नीतियों” को लेकर की गई सख्त कार्रवाई के बाद सामने आया है।
क्या है मामला?
भारत में दो प्रतिस्पर्धा कानून विशेषज्ञों की शिकायत पर CCI ने Google की पैरेंट कंपनी Alphabet के खिलाफ जांच शुरू की थी। जांच में पाया गया कि Google अपने टीवी ऐप डिस्ट्रीब्यूशन एग्रीमेंट के तहत Android TV में ऑपरेटिंग सिस्टम और ऐप्स प्री-इंस्टॉल करवा कर बाजार में अन्य खिलाड़ियों के लिए रास्ता बंद कर रहा था, जो प्रतिस्पर्धा के खिलाफ है।
अब क्या बदला?
Google ने अब एक नया एग्रीमेंट पेश किया है जिसमें वह अपने Play Store और Play Services को अलग से लाइसेंस के तहत देगा — यानी अब कंपनियों को ये सेवाएं प्री-इंस्टॉल करवाने के लिए भुगतान करना होगा।
साथ ही Google अब अपने सभी पार्टनर्स को पत्र भेजेगा जिसमें बताया जाएगा कि वे अब केवल Google का Android OS इस्तेमाल करने के लिए बाध्य नहीं हैं। वे चाहें तो कोई भी ओपन-सोर्स ऑपरेटिंग सिस्टम का उपयोग कर सकते हैं।
ग्राहकों के लिए इसका क्या मतलब है?
अब जो ग्राहक Google का Android OS या Play Store पसंद करते हैं, उन्हें टीवी खरीदने से पहले जानकारी जुटानी होगी कि कौन-से ब्रांड्स में वह सिस्टम इंस्टॉल है और कौन-से में नहीं।
ध्यान देने योग्य बात यह है कि सभी ऐप्स, सभी ऐप स्टोर पर उपलब्ध नहीं होते।
Google Play Store और Amazon App Store अभी भी सबसे ज्यादा ऐप्स उपलब्ध कराते हैं।
Apple, Google और Amazon के स्टोर्स को उनकी डाटा सुरक्षा और यूजर इंटरफेस के लिए प्राथमिकता दी जाती है।
कौन-कौन से ब्रांड्स हैं प्रभावित?
वर्तमान में Hisense, Sony, Panasonic, Philips, Sharp, Motorola, Nokia, Toshiba और TCL जैसे ब्रांड्स में Google का Android OS और Play Store प्री-इंस्टॉल आता है। अब ये ब्रांड्स दूसरे ऑपरेटिंग सिस्टम्स जैसे Linux-based या अन्य ओपन-सोर्स विकल्पों का चयन कर सकते हैं।
आगे क्या?
यह फैसला फिलहाल स्मार्ट टीवी तक सीमित है, लेकिन CCI ने संकेत दिया है कि यह नियम भविष्य में अन्य डिवाइसेज़ तक भी बढ़ सकता है।
Google को इस मामले में $2.38 मिलियन (लगभग ₹20 करोड़) का जुर्माना भरना होगा।
निष्कर्ष:
अब स्मार्ट टीवी बाजार में अधिक विकल्प, स्वतंत्रता, और प्रतिस्पर्धा देखने को मिलेगी। ग्राहक को भी अब जागरूक होकर टीवी खरीदना होगा — सिर्फ स्क्रीन साइज और ब्रांड नहीं, बल्कि ऑपरेटिंग सिस्टम और ऐप स्टोर सपोर्ट भी देखना होगा।