कोरोना वायरस की महामारी को लेकर लॉकडाउन के बाद की स्थिति की मुख्य सचिव डॉ. डी के तिवारी की अध्यक्षता में झारखंड मंत्रालय में उच्चस्तरीय समीक्षा बैठक की गई। इस दौरान कोरोना वायरस संक्रमण से बचाव और लॉकडाउन के लिए बनी राज्यस्तरीय समितियों के नोडल पदाधिकारियों ने वर्तमान परिस्थित पर अपने विचार और सुझाव साझा किए। लॉकडाउन के बाद विभिन्न प्रदेशों में फंसे झारखंडवासियों द्वारा लगातार वापस घर लाने के आग्रह को देखते हुए सभी विकल्पों पर विचार किया गया।
मुख्य सचिव डॉ. डी के तिवारी ने केंद्र सरकार के गाइड लाइन का हवाला देते हुए स्पष्ट किया कि झारखंड के जो लोग, अन्य प्रदेशों में जहां हैं, वहीं बने रहेंगे। उन राज्यों के शासन और प्रशासन से संपर्क कर झारखंड वासियों की मूलभूत जरूरतों को वहीं पूरा कराया जाएगा। इसके लिए मुख्य सचिव ने निर्देश दिया कि जल्द से जल्द बाहर के प्रदेशों में फंसे लोगों की संख्या, पता-ठिकाना आदि की मुकम्मल जानकारी लेकर उन तक स्थानीय स्तर पर सुविधा पहुंचाने का प्रयास शुरू करें।
उन्होंने कहा कि इसके लिए सीधे वहां के कलक्टरों से संपर्क कर झारखंड वासियों की सूची प्राप्त करें और उनकी जरूरतों की जानकारी प्राप्त करें। अगर जरूरी हो तो राज्य सरकार झारखंड वासियों को सुविधा उपलब्ध कराने के एवज में वहां के कलक्टरों को सीधे राशि भी देगी। उन्होंने स्पष्ट निर्देश दिया कि यह कार्य यथाशीघ्र किया जाए। वहीं बाहर के प्रदेशों में फंसे लोगों की लगातार काउंसलिंग करने पर बल देते हुए कहा कि इससे उन्हें यह ढांढस मिलेगा कि उनकी खैर ली जा रही है।
मुख्य सचिव ने लॉकडाउन को पूरी तरह कारगर बनाने के लिए मोहल्लों से लेकर सुदूर गांव के लोगों तक आवश्यक सामग्री पहुंचाने को प्राथमिकता देते हुए फूड सप्लाई चेन बनाने का निर्देश दिया है। उन्होंने कहा कि हर जिले में वहां के उपायुक्तों के माध्यम से सिविल सोसायटी, एनसीसी और अन्य सामाजिक संगठनों के कम से कम एक हजार लोगों का सप्लाई चेन बनाएं। इन्हें आपदा मित्र का नाम दें। ये लोग ही डोर टू डोर आवश्यक सामग्री की सप्लाई करेंगे। इससे हाट बाजारों में भीड़ पर अंकुश लगाते हुए लॉकडाउन को पूरी तरह सफल बनाया जा सकेगा।