पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने दिल्ली में चल रही नीति आयोग की बैठक बीच में छोड़ दी। नीति आयोग की 9वीं गवर्निंग काउंसिल की बैठक की अध्यक्षता प्रधानमंत्री मोदी कर रहे हैं, जिसमें भाजपा और अन्य राज्यों के मुख्यमंत्री शामिल हैं।
ममता ने बैठक से बाहर निकलने की वजह बताते हुए कहा कि विपक्ष की ओर से सिर्फ उन्होंने ही भाग लिया, जबकि भाजपा के मुख्यमंत्रियों को 10 से 20 मिनट का समय दिया गया, जबकि उन्हें केवल 5 मिनट मिले।
ममता ने आरोप लगाया कि जब उन्होंने पश्चिम बंगाल के मुद्दे पर बोलना शुरू किया, तो उनका माइक बंद कर दिया गया और उन्हें अपनी पूरी बात रखने का अवसर नहीं दिया गया। उन्होंने कहा कि राज्य के मुद्दों को उठाना गलत नहीं है और इस तरह उनका और पश्चिम बंगाल के लोगों का अपमान हुआ है।
बैठक में I.N.D.I.A ब्लॉक के 7 राज्यों के मुख्यमंत्री शामिल नहीं हुए, जिनमें एम.के. स्टालिन (तमिलनाडु), सिद्धरमैया (कर्नाटक), रेवंत रेड्डी (तेलंगाना), सुखविंदर सिंह सुक्खू (हिमाचल प्रदेश), पी. विजयन (केरल), हेमंत सोरेन (झारखंड), भगवंत मान (पंजाब) और अरविंद केजरीवाल (नई दिल्ली) शामिल हैं।
ममता बनर्जी ने बैठक से एक दिन पहले कहा था कि नीति आयोग को खत्म कर दिया जाए और योजना आयोग को फिर से लागू किया जाए, जो नेताजी सुभाष चंद्र बोस का विचार था। उन्होंने यह भी कहा कि सरकार आपसी विवादों में गिर जाएगी और उन्हें इस दौरे में ज्यादा समय नहीं मिल रहा है, इसलिए वे किसी नेता से मुलाकात नहीं कर पा रही हैं।
मीटिंग की थीम: विकसित भारत @ 2047
नीति आयोग की गवर्निंग काउंसिल की बैठक में “विकसित भारत @ 2047” पर चर्चा की जाएगी, जिसमें भारत को विकसित बनाने में राज्यों की भूमिका पर भी विचार होगा। नीति आयोग का कहना है कि भारत 5 ट्रिलियन डॉलर की जीडीपी के साथ दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने की राह पर है और 2047 तक 30 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था का लक्ष्य प्राप्त करेगा।