ग्वालियर (डबरा)। मध्य प्रदेश के डबरा में डिजिटल अरेस्ट के सबसे बड़े मामले का खुलासा हुआ है, जहां पुलिस ने उत्तर प्रदेश से दो ठगों को गिरफ्तार किया है। इन साइबर अपराधियों ने BSF इंस्पेक्टर को डिजिटल अरेस्ट कर 71 लाख रुपए की ठगी की और लगभग एक महीने तक मानसिक दबाव में रखा।
कैसे फंसा BSF इंस्पेक्टर?
मामला टेकनपुर स्थित BSF कैंप से जुड़ा है, जहां पदस्थ इंस्पेक्टर अबसार अहमद के मोबाइल पर 2 दिसंबर 2024 को व्हाट्सएप कॉल आया। कॉल करने वाले ने खुद को मुंबई साइबर और क्राइम ब्रांच का अफसर बताया और कहा कि उनके खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग का केस दर्ज है और कोर्ट ने उनकी और उनके परिवार की गिरफ्तारी के आदेश दिए हैं।
जब इंस्पेक्टर ने आरोपों से इनकार किया, तो ठगों ने उन्हें वीडियो कॉल पर फर्जी अधिकारी बनकर दिखाया और कहा कि उनका फोन टेप हो रहा हैऔर किसी को भी बताने पर बच्चों और परिवार को अरेस्ट कर लिया जाएगा।
71 लाख ठगने की साजिश
इंस्पेक्टर उत्तर प्रदेश के निवासी हैं और ग्वालियर में अकेले रहते हैं, जिससे वे ठगों की धमकियों से डर गए और 15 लाख रुपए की पहली किस्त भेज दी। ठगों ने भरोसा दिलाया कि यदि वे निर्दोष हैं तो केस क्लोज होते ही पूरी रकम लौटा दी जाएगी।
लगातार 34 ट्रांजैक्शन में इंस्पेक्टर ने कुल 71.25 लाख रुपए ठगों के खाते में ट्रांसफर कर दिए। इस दौरान उन्होंने दिल्ली स्थित फ्लैट और जमीन बेचने के लिए एडवांस लिया और बैंक में सेव की गई रकम भी ठगों को दे दी।
बेटे की समझाइश से टूटा जाल
लगभग एक महीने तक ठगों के संपर्क में रहने के बाद, 2 जनवरी 2025 को इंस्पेक्टर ने अपने बेटे से बात की और पूरी घटना बताई। बेटे ने उन्हें समझाया कि वे एक साइबर स्कैम के शिकार हुए हैं और ठगों ने उन्हें डिजिटल अरेस्ट किया था।
इसके बाद इंस्पेक्टर अपने बेटे के साथ पुलिस अधीक्षक कार्यालय पहुंचे और शिकायत दर्ज कराई। ग्वालियर क्राइम ब्रांच ने तेजी से जांच शुरू कर दो आरोपियों को उत्तर प्रदेश से गिरफ्तार कर लिया।
अगली कार्रवाई
क्राइम ब्रांच पुलिस इस मामले की गहराई से जांच कर रही है और ठगों के नेटवर्क को खंगाल रही है। संभावना है कि इस साइबर गिरोह में और भी सदस्य शामिल हो सकते हैं। पुलिस जल्द ही अन्य आरोपियों की गिरफ्तारी के लिए आगे की कार्रवाई करेगी।