जर्मनी के राष्ट्रीय चुनावों में रूढ़िवादी गठबंधन (CDU/CSU) ने जीत दर्ज की, जिससे फ्रीडरिख मर्ज (Friedrich Merz) देश के अगले चांसलरबनने के लिए तैयार हैं। एग्जिट पोल्स के अनुसार, यह नतीजा जर्मनी की राजनीतिक परिदृश्य में एक बड़ा बदलाव दर्शाता है। इस चुनाव में दक्षिणपंथी पार्टी अल्टरनेटिव फॉर जर्मनी (AfD) ने ऐतिहासिक बढ़त बनाई और दूसरे स्थान पर रही। इस पार्टी को अमेरिकी टेक अरबपति और डोनाल्ड ट्रंप के सहयोगी एलन मस्क समेत कई प्रमुख अमेरिकी हस्तियों का समर्थन प्राप्त था।
ट्रंप ने परिणामों का स्वागत किया
अमेरिकी पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने चुनाव नतीजों का स्वागत करते हुए कहा कि “जर्मनी की जनता ने ओलाफ शोल्ज़ की वामपंथी सरकार की ‘बिना तर्क की नीतियों’ को नकार दिया है।”
उन्होंने Truth Social पर लिखा, “अमेरिका की तरह ही, जर्मनी के लोग भी लंबे समय से ऊर्जा और आप्रवासन नीतियों में समझदारी की कमी से तंग आ चुके थे। यह जर्मनी के लिए एक महान दिन है।”
फ्रीडरिख मर्ज का अमेरिका से “स्वतंत्र यूरोप” का आह्वान
69 वर्षीय फ्रीडरिख मर्ज ने चांसलर बनने से पहले कहा कि वह यूरोप को “असली स्वतंत्रता” दिलाने की दिशा में काम करेंगे। भले ही ट्रंप ने चुनावी परिणामों का समर्थन किया हो, लेकिन मर्ज ने अपनी जीत के बाद अमेरिका की आलोचना की।
उन्होंने कहा, “अमेरिका से आए कुछ बयानों को सुनकर मैं हैरान हूं। वे हमारी राजनीति में रूस जैसी दखलअंदाजी कर रहे थे।”
मर्ज ने आगे कहा, “ट्रंप प्रशासन ने दिखा दिया है कि वे यूरोप के भविष्य को लेकर उदासीन हैं। मेरी प्राथमिकता यूरोप को मजबूत करना और अमेरिका से चरणबद्ध रूप से स्वतंत्र बनाना होगा।”
उन्होंने यहां तक कहा कि यह सोचना होगा कि “क्या अगली NATO समिट वर्तमान स्वरूप में गठबंधन को बनाए रख पाएगी?”
चुनौतियों से घिरी मर्ज की सरकार
चांसलर बनने की राह में मर्ज को जटिल और लंबी गठबंधन वार्ताओं का सामना करना पड़ेगा। हालांकि उनकी पार्टी CDU/CSU सबसे बड़ी पार्टी बनी, लेकिन उसे द्वितीय विश्व युद्ध के बाद दूसरा सबसे खराब प्रदर्शन करना पड़ा।
इसके अलावा, दक्षिणपंथी AfD को मुख्यधारा की पार्टियों ने सहयोग देने से इनकार कर दिया है। यह जर्मनी के नाजी अतीत की वजह से अब भी राजनीतिक रूप से अलग-थलग मानी जाती है।
अब यह स्पष्ट नहीं है कि मर्ज सरकार बनाने के लिए एक या दो गठबंधन सहयोगियों की जरूरत होगी, जिससे संसदीय गणित पेचीदा हो गया है।
दक्षिणपंथी उभार और वामपंथी गिरावट
- CDU/CSU को 28.5% वोट मिले।
- दक्षिणपंथी AfD ने 20.5% वोट हासिल किए, जो उसकी इतिहास की सबसे बड़ी जीत रही।
- चांसलर ओलाफ शोल्ज़ की सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी (SPD) को महज 16.5% वोट मिले, जो द्वितीय विश्व युद्ध के बाद सबसे खराब प्रदर्शन था।
- ग्रीन्स (11.8%) और वामपंथी Die Linke (8.7%) को अपेक्षाकृत बेहतर समर्थन मिला।
- स्वतंत्र बाजार समर्थक FDP और नई पार्टी ‘सहारा वागेंक्नेक्ट एलायंस (BSW)’ 5% की सीमा पर संघर्ष करती दिखीं।
युवाओं ने वामपंथ को, पुरुषों ने दक्षिणपंथ को समर्थन दिया
इस बार मतदान प्रतिशत 83% रहा, जो 1990 में जर्मनी के एकीकरण के बाद सबसे अधिक था।
- युवा मतदाताओं ने वामपंथी पार्टियों को समर्थन दिया।
- महिला मतदाता वामपंथ की ओर अधिक झुकीं।
- पुरुष मतदाता दक्षिणपंथी दलों के समर्थन में अधिक थे।
आगे क्या?
अब मर्ज को सरकार बनाने के लिए गठबंधन वार्ताओं में संतुलन बनाना होगा। यदि वह तीन-पार्टी गठबंधन की ओर बढ़ते हैं, तो सरकार को सुचारू रूप से चलाना एक कठिन कार्य होगा। जर्मनी की अर्थव्यवस्था संघर्षरत है, समाज प्रवासन नीति पर बंटा हुआ है, और वैश्विक सुरक्षा नीतियां चुनौतीपूर्ण बनी हुई हैं।
आने वाले दिनों में जर्मनी की राजनीति यूरोप और अमेरिका के संबंधों को लेकर महत्वपूर्ण फैसलों की ओर बढ़ेगी।