महाराष्ट्र में औरंगज़ेब को लेकर विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है। अब कांग्रेस के नवनियुक्त प्रदेश अध्यक्ष हर्षवर्धन सपकाल ने मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस की तुलना मुगल शासक औरंगज़ेब से कर दी, जिससे नया विवाद खड़ा हो गया। बीजेपी ने इस बयान को महाराष्ट्र की पहचान का “अपमान” करार दिया है।
हर्षवर्धन सपकाल ने कहा, “औरंगज़ेब एक क्रूर शासक था। उसने अपने ही पिता को जेल में डाल दिया था और हमेशा धर्म का सहारा लिया। आज देवेंद्र फडणवीस भी उतने ही क्रूर हैं। वह भी हमेशा धर्म की राजनीति करते हैं। इसलिए औरंगज़ेब और फडणवीस के शासन में कोई फर्क नहीं है।”
इससे पहले समाजवादी पार्टी के नेता अबू आज़मी ने पिछले महीने बयान दिया था कि “औरंगज़ेब एक अच्छा प्रशासक था, लेकिन उसे इतिहास में गलत तरीके से पेश किया गया है।” इस बयान के बाद उनके खिलाफ पुलिस में केस दर्ज हुआ, हालांकि मुंबई की एक अदालत ने उन्हें अग्रिम जमानत दे दी है।
इस बीच मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने छत्रपति संभाजीनगर जिले के खुल्दाबाद में स्थित औरंगज़ेब के मकबरे को हटाने की मांग का समर्थन किया है।
बीजेपी ने हर्षवर्धन सपकाल के बयान की कड़ी निंदा करते हुए इसे “बचकाना और गैर-जिम्मेदाराना” बताया। महाराष्ट्र बीजेपी अध्यक्ष चंद्रशेखर बावनकुले ने कहा, “कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष का बयान बेहद बचकाना है और महाराष्ट्र की राजनीतिक संस्कृति को कलंकित करता है। औरंगज़ेब की तुलना फडणवीस से करके कांग्रेस महाराष्ट्र की पहचान का अपमान कर रही है।”
अबू आज़मी ने भी अपने बयान में कहा था, “औरंगज़ेब ने कई मंदिर बनवाए थे। मैं उसे क्रूर शासक नहीं मानता। साथ ही, छत्रपति संभाजी महाराज और औरंगज़ेब के बीच की लड़ाई हिंदू-मुस्लिम संघर्ष नहीं, बल्कि प्रशासनिक लड़ाई थी।”
उन्होंने यह भी दावा किया था कि “औरंगज़ेब के समय भारत की सीमाएं अफगानिस्तान तक फैली थीं और तब देश की जीडीपी 24% थी। भारत को ‘सोने की चिड़िया’ कहा जाता था।”
हालांकि, उनकी ये टिप्पणी विक्की कौशल की फिल्म ‘छावा’ से पैदा हुए भावनात्मक माहौल के बीच आई, जिसमें संभाजी महाराज पर हुए अत्याचारों को दिखाया गया था। इस कारण उनके बयान को लेकर भारी आलोचना हुई।
महाराष्ट्र कांग्रेस अध्यक्ष का “औरंगज़ेब” बयान, देवेंद्र फडणवीस पर तंज से बढ़ा विवाद
महाराष्ट्र में औरंगज़ेब को लेकर विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है। अब कांग्रेस के नवनियुक्त प्रदेश अध्यक्ष हर्षवर्धन सपकाल ने मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस की तुलना मुगल शासक औरंगज़ेब से कर दी, जिससे नया विवाद खड़ा हो गया। बीजेपी ने इस बयान को महाराष्ट्र की पहचान का “अपमान” करार दिया है।
हर्षवर्धन सपकाल ने कहा, “औरंगज़ेब एक क्रूर शासक था। उसने अपने ही पिता को जेल में डाल दिया था और हमेशा धर्म का सहारा लिया। आज देवेंद्र फडणवीस भी उतने ही क्रूर हैं। वह भी हमेशा धर्म की राजनीति करते हैं। इसलिए औरंगज़ेब और फडणवीस के शासन में कोई फर्क नहीं है।”
इससे पहले समाजवादी पार्टी के नेता अबू आज़मी ने पिछले महीने बयान दिया था कि “औरंगज़ेब एक अच्छा प्रशासक था, लेकिन उसे इतिहास में गलत तरीके से पेश किया गया है।” इस बयान के बाद उनके खिलाफ पुलिस में केस दर्ज हुआ, हालांकि मुंबई की एक अदालत ने उन्हें अग्रिम जमानत दे दी है।
इस बीच मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने छत्रपति संभाजीनगर जिले के खुल्दाबाद में स्थित औरंगज़ेब के मकबरे को हटाने की मांग का समर्थन किया है।
बीजेपी ने हर्षवर्धन सपकाल के बयान की कड़ी निंदा करते हुए इसे “बचकाना और गैर-जिम्मेदाराना” बताया। महाराष्ट्र बीजेपी अध्यक्ष चंद्रशेखर बावनकुले ने कहा, “कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष का बयान बेहद बचकाना है और महाराष्ट्र की राजनीतिक संस्कृति को कलंकित करता है। औरंगज़ेब की तुलना फडणवीस से करके कांग्रेस महाराष्ट्र की पहचान का अपमान कर रही है।”
अबू आज़मी ने भी अपने बयान में कहा था, “औरंगज़ेब ने कई मंदिर बनवाए थे। मैं उसे क्रूर शासक नहीं मानता। साथ ही, छत्रपति संभाजी महाराज और औरंगज़ेब के बीच की लड़ाई हिंदू-मुस्लिम संघर्ष नहीं, बल्कि प्रशासनिक लड़ाई थी।”
उन्होंने यह भी दावा किया था कि “औरंगज़ेब के समय भारत की सीमाएं अफगानिस्तान तक फैली थीं और तब देश की जीडीपी 24% थी। भारत को ‘सोने की चिड़िया’ कहा जाता था।”
हालांकि, उनकी ये टिप्पणी विक्की कौशल की फिल्म ‘छावा’ से पैदा हुए भावनात्मक माहौल के बीच आई, जिसमें संभाजी महाराज पर हुए अत्याचारों को दिखाया गया था। इस कारण उनके बयान को लेकर भारी आलोचना हुई।