टेक दिग्गज Apple ने अमेरिका में बढ़े हुए टैरिफ से बचने के लिए भारत से लगभग 600 टन iPhones, यानी करीब 15 लाख यूनिट, कार्गो फ्लाइट्स के जरिए अमेरिका पहुंचाए। यह खुलासा Reuters की एक रिपोर्ट में सूत्रों के हवाले से हुआ है।
Apple ने भारत में iPhone निर्माण को बढ़ाया है और अब वह इसे अमेरिका के लिए एक प्रमुख सप्लाई बेस के रूप में विकसित कर रहा है।
📦 टैक्स से बचाव की चाल
डोनाल्ड ट्रंप प्रशासन द्वारा चीन से आयातित इलेक्ट्रॉनिक्स पर 125% तक का टैरिफ लगाया गया है, जबकि भारत से आयात पर फिलहाल 26% टैक्स है, जो कि अस्थायी रूप से रोका गया है।
ऐसे में Apple ने चीन पर निर्भरता कम करते हुए भारत से सीधे अमेरिका iPhones भेजना शुरू कर दिया।
एक सूत्र ने बताया,
“Apple टैक्स लागू होने से पहले iPhones की शिपमेंट अमेरिका पहुंचाना चाहता था।”
✈️ चेन्नई एयरपोर्ट पर ‘ग्रीन कॉरिडोर’
Apple ने भारत सरकार और चेन्नई एयरपोर्ट प्रशासन से कस्टम क्लियरेंस का समय 30 घंटे से घटाकर 6 घंटे करवाने के लिए लॉबिंग की।
यह प्रक्रिया चीन के कुछ एयरपोर्ट्स में पहले से लागू Apple मॉडल पर आधारित है।
मार्च से अब तक लगभग 6 कार्गो जेट्स ने चेन्नई से उड़ान भरी, जिनमें हर एक में 100 टन iPhones भेजे गए।
📱 कितने iPhones भेजे गए?
- एक iPhone 14 (चार्जर सहित) का वज़न: करीब 350 ग्राम
- कुल शिपमेंट: 600 टन
- अनुमानित यूनिट्स: 15 लाख iPhones
🇮🇳 भारत में उत्पादन बढ़ा, रविवार को भी फैक्ट्री चालू
Apple ने भारत में Foxconn की फैक्ट्री में रविवार को भी काम शुरू कर दिया, ताकि प्रोडक्शन में 20% की बढ़ोतरी हो सके।
2023 में इस फैक्ट्री ने 2 करोड़ iPhones बनाए थे, जिनमें iPhone 15 और 16 शामिल हैं।
Apple के मुख्य सप्लायर्स Foxconn और Tata की भारत में 3 फैक्ट्रियां हैं, और दो और निर्माणाधीन हैं।
📈 शिपमेंट वैल्यू में उछाल
- जनवरी 2025 में Foxconn की अमेरिका को iPhone शिपमेंट वैल्यू: $770 मिलियन (₹6,628 करोड़)
- फरवरी 2025 में: $643 मिलियन (₹5,536 करोड़)
(पिछले 4 महीनों में यह आंकड़ा केवल $110 से $331 मिलियन के बीच था)
इन शिपमेंट्स में 85% से अधिक iPhones शिकागो, लॉस एंजेलिस, न्यूयॉर्क और सैन फ्रांसिस्को में डिलीवर किए गए।
🤝 मोदी सरकार का समर्थन
Apple की इस रणनीति को सफल बनाने के लिए भारत सरकार ने विशेष सहयोग दिया। एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने बताया कि प्रधानमंत्री मोदी के निर्देश पर अधिकारियों को Apple की मदद करने के लिए कहा गया था।
यह कदम न केवल Apple की चीन से निर्भरता कम करने की रणनीति का हिस्सा है, बल्कि भारत को एक वैश्विक मैन्युफैक्चरिंग हब बनाने की दिशा में भी महत्वपूर्ण कदम है।