भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने मौद्रिक नीति समिति (MPC) की बैठक के बाद रेपो रेट में 25 आधार अंकों की कटौती करने का निर्णय लिया है। इस कटौती के बाद अब रेपो रेट 6.25% हो गया है, जो पहले 6.50% था। यह कदम आर्थिक विकास को प्रोत्साहित करने और लोन ब्याज दरों में कमी लाने के उद्देश्य से उठाया गया है।
रेपो रेट कटौती का प्रभाव
रेपो रेट वह दर होती है जिस पर RBI वाणिज्यिक बैंकों को अल्पकालिक ऋण प्रदान करता है। रेपो रेट में कमी होने से बैंकों को सस्ता कर्ज मिलता है, जिससे वे उपभोक्ताओं को कम ब्याज दरों पर ऋण दे सकते हैं। इससे उद्योगों, व्यापारों और आम जनता को राहत मिल सकती है, क्योंकि गृह ऋण, वाहन ऋण और अन्य व्यक्तिगत ऋणों की ब्याज दरों में कमी आ सकती है।
आर्थिक वृद्धि का अनुमान
RBI ने वर्ष 2025-26 के लिए सकल घरेलू उत्पाद (GDP) की वृद्धि दर 6.7% रहने का अनुमान जताया है। इसका मतलब है कि अर्थव्यवस्था में स्थिरता बनी रहेगी और विकास की गति अच्छी बनी रहने की संभावना है। इसके अलावा, केंद्रीय बैंक ने मुद्रास्फीति को नियंत्रित रखने और आर्थिक स्थिरता बनाए रखने पर भी जोर दिया है।
RBI के इस फैसले के संभावित फायदे
- ब्याज दरों में गिरावट – रेपो रेट कम होने से बैंकों द्वारा दिए जाने वाले कर्ज सस्ते होंगे, जिससे आवास, वाहन और शिक्षा ऋण लेना आसान हो सकता है।
- व्यापार और उद्योग को बढ़ावा – कंपनियों को सस्ती दरों पर कर्ज मिलने से वे अपने विस्तार और नए निवेश कर सकेंगी।
- उपभोग बढ़ेगा – सस्ते ऋण से उपभोक्ताओं की क्रय शक्ति बढ़ेगी, जिससे बाजार में मांग बढ़ने की संभावना है।
- निवेश को प्रोत्साहन – शेयर बाजार और स्टार्टअप सेक्टर में भी इस फैसले से सकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है।
निष्कर्ष
भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा रेपो रेट में की गई यह कटौती अर्थव्यवस्था को गति देने, महंगाई को नियंत्रण में रखने और निवेश को बढ़ावा देने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। इसके साथ ही, वर्ष 2025-26 के लिए 6.7% GDP वृद्धि का अनुमान यह संकेत देता है कि भारतीय अर्थव्यवस्था मजबूती से आगे बढ़ रही है।