बजट 2025 से उम्मीदें: आर्थिक सर्वेक्षण के संकेत और जरूरी सुधार
केंद्रीय बजट 2025 से पहले आर्थिक सर्वेक्षण 2025 पेश किया गया, जिसमें देश की अर्थव्यवस्था, रोजगार, कर नीति और विकास की संभावनाओं को लेकर महत्वपूर्ण संकेत मिले हैं। इस बार…
केंद्रीय बजट 2025 से पहले आर्थिक सर्वेक्षण 2025 पेश किया गया, जिसमें देश की अर्थव्यवस्था, रोजगार, कर नीति और विकास की संभावनाओं को लेकर महत्वपूर्ण संकेत मिले हैं। इस बार…
मेष (Aries):आज का दिन करियर के लिहाज से शुभ रहेगा। नौकरीपेशा लोगों को नई उपलब्धि मिल सकती है। सामाजिक स्तर पर आपके प्रयासों की सराहना होगी। जीवनसाथी के साथ लंबे…
The Central Government has announced the introduction of the Unified Pension System (UPS) as an optional alternative to the existing National Pension System (NPS) for central government employees. This initiative aims to provide a…
रांची मौसम विज्ञान के केंद्र के अनुसार झारखंड के उत्तरी भाग में 25 जनवरी से न्यूनतम तापमान में गिरावट के कारण ठंड मे बढ़ोतरी देखने को मिल सकती है| वहीं…
महाराष्ट्र के नासिक जिले में चलती ट्रेन में आग लगने की अफवाह ने खौफनाक स्थिति पैदा कर दी। इस अफवाह के कारण ट्रेन में सवार यात्री डर के मारे अपनी…
कई बार आपने दुनिया के खत्म होने की भविष्यवाणियां सुनी होंगी, लेकिन वे सच साबित नहीं हुईं। मगर अब एक बार फिर से पृथ्वी यानी दुनिया के पूरी तरह नष्ट…
पटना। छोटे शहरों में आपकी जरूरत ही कभी, आपको एक रास्ता दिखाती है। जो आगे चलकर एक बेंचमार्क बनता है। ऐसे ही एक जरूरत ने Safe Yatra को जन्म दिया।…
हर रोज देश और राज्य में कोरोना संक्रमितों के आकड़ें बढ़ते जा रहे हैं। झारखण्ड में अनलॉक-1 की गाइडलाइन जारी करते हुए कई क्षेत्रों में छूट दी गयी। अर्थव्यवस्था को बचाने के लिए यही जरुरी भी था।
यदि सरकारों ने और हर नागरिक ने अपनी जिम्मेदारी सही से निभायी होती, तो ना अब तक लॉकडाउन की तारीख़ बढ़ती, ना ही मजदुरों का पलायन होता, ना हम अपने घरों में अभी तक बंद होते और ना ही इतनी जानें जाती।
झारखंड में फीस माफी को लेकर एक बार फिर आवाज उठने लगी है। लॉक डाउन के दौरान झारखंड के स्कूल, कॉलेज सहित सभी शैक्षणिक संस्थाएं बंद हैं। विद्यार्थियों की पढ़ाई लगभग ठप है। ऑनलाइन पढ़ाई की औपचारिकताएं निभाई जा रही है।
आज हम आपको समाज की दो तस्वीर दिखाने की कोशिश कर रहे है। एक तस्वीर समाज के पढ़े लिखे और खुद को सभ्य बताने वाले की है वहीं दूसरी तस्वीर एक ऐसे वर्ग की है जिन्हें हम सभ्य नही मानते, ये अनपढ़ है, और दैनिक मजदूरी कर अपना जीवन यापन करते है।
कल International Day of Families था। यानी परिवार के साथ एक दिन गुजरने का दिन। यह शायद इसलिए भी मनाया जाता है क्योंकि जिम्मेदारियों को निभाते निभाते हम परिवार को समय नहीं दे पाते। काम का तनाव, पैसे कमाने की जद्दोजहद, जिम्मेदारियों को पूरा करते करते वक़्त कब निकल जाता पता ही नहीं चलता।