राष्ट्रपति श्री रामनाथ कोविंद ने आज विकास भारती बिशुनपुर के सौजन्य से आयोजित स्वरोजगारी एवं स्वावलंबी कृषि ग्रामोद्योग एवं कौशल विकास योजना के कार्यक्रम में कहा कि बिशुनपुर आना मेरे लिए सौभाग्य की बात है। उन्होंने कहा कि बिशुनपुर की धरती त्याग, बलिदान, संघर्ष एवं स्वाभिमान की धरती है। उन्होंने कहा कि देश बदल रहा है और हम सबको भी बदलने की जरूरत है। मनुष्य होकर हमें यह प्रयास करना है कि हमारे आचरण में अंतर नहीं होना चाहिए। उन्होंने शिक्षा के विषय चर्चा करते हुए कहा कि शिक्षा ऐसा संसाधन है जो हम अपने बच्चों के साथ-साथ लोगों को भी दे सकते हैं। उन्होंने कार्यक्रम में उपस्थित लोगों से कहा कि आप अपने बच्चों को स्कूल अवश्य भेजें, साथ ही उन्हें अच्छा आचरण दें। जिससे वे अच्छे एवं भले की पहचान कर सकें। उन्होंने कहा कि डिग्री प्राप्त कर लेने से ही पूर्णतया शिक्षित नहीं हो जाते अपितु शिक्षित वह व्यक्ति है जो एक अच्छा इंसान है। उन्होंने कहा कि एक अच्छा इंसान बनना शिक्षा की कसौटी है। उन्होंने आदिवासी समुदाय के लोगों से मिलने की गहरी इच्छा जताई।
किसानों से संवाद करने के पश्चात् उन्होंने प्रदर्शनियों एवं स्टॉलों का अवलोकन किया। इसके साथ ही सृजन परिसर स्थित सिंगबोंगा भवन के सम्मुख विभिन्न जनजातिय समूहों द्वारा सांस्कृतिक कार्यक्रमों एवं गाँधी संग्रहालय का भी अवलोकन किया। उन्होंने ज्ञान निकेतन परिसर में जनजातीय बच्चों के साथ वनवासी संस्कृति का अवलोकन किया। उन्होंने ज्ञान निकेतन परिसर में स्थापित वीरांगना फुलो-झानो की प्रतिमा पर पुष्प अर्पण किए। इसके साथ ही ज्ञान निकेतन परिसर में राष्ट्रपति सहित माननीय अतिथियों द्वारा वृक्षारोपण किया गया। राष्ट्रपति विकास भारती परिसर मंर संस्थान द्वारा किए जाने वाले कार्यक्रमों के स्टाॅल को देखकर काफी प्रसंशा व्यक्त की। छऊ नृत्य के कलाकारों की प्रस्तुति को सराहा तथा स्कूली बच्चों के साथ सामुहिक फोटोग्राफी में सहभागिता किया। टाना भगत समुदाय को उन्होंने महात्मा गाँधी जी का सच्चा अनुयायी बताया।
इससे पूर्व माननीय राष्ट्रपति, माननीय राज्यपाल, केन्द्रीय मंत्री व अन्य के द्वारा विकास भारती बिशुनपुर परिसर में स्थित भगवान बिरसा मुण्डा की प्रतिमा पर पुष्प अर्पण कर श्रद्धांजलि दिया गया।