बाबुलाल मरांडी ने मुख्यमंत्री को लिखा पत्र, क्वारंटाईन सेंटर पर उठाए सवाल

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राज्य सरकार द्वारा पूरे राज्य में क्वारंटाईन सेंटर के लिए की गई व्यवस्था मुकम्मल नहीं है। सरैयाहाट की लापरवाही की घटना इसका उदाहरण भर है। सरैयाहाट में क्वारंटाईन किए गए दो संक्रमित मरीजों से मिलने-जुलने को लेकर हुई घोर लापरवाही के मामले में ….

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राज्य सरकार द्वारा पूरे राज्य में क्वारंटाईन सेंटर के लिए की गई व्यवस्था मुकम्मल नहीं है। सरैयाहाट की लापरवाही की घटना इसका उदाहरण भर है। सरैयाहाट में क्वारंटाईन किए गए दो संक्रमित मरीजों से मिलने-जुलने को लेकर हुई घोर लापरवाही के मामले में जहां थानेदार को सस्पेंड कर दिया गया वहीं उक्त सेंटर के प्रभारी पर कार्यवाई की तैयारी की जा रही है। उक्त बातें भाजपा विधायक दल के नेता और पूर्व मुख्यमंत्री बाबुलाल मरांडी ने मंगलवार को मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को लिखे एक पत्र में कही।

उन्होंने कहा कि राज्य भर में पंचायतों/गांवो के क्वारनटाइन सेन्टरों में से एक क्वारनटाइन सेंटर में दो कोरोना संक्रमित मरीज नहीं मिलते तो शायद क्वारनटाइन व्यवस्था की खामियां उजागर नहीं होती और सबकुछ उसी तरह जैसे-तैसे कागजी क्वारनटाइन के भरोसे चलता रहता। उन्होंने चिंता जाहिर करते हुए कहा कि अभी गढ़वा में ही जो एकमुश्त 20 कोरोना संक्रमित प्रवासी मजदूर समेत दूसरे जगहों के 4 और प्रवासी आगंतुक कोरोना पाॅजिटीव मिले हैं। वे किसी सरकारी व्यवस्था से नहीं लाये गये बल्कि खुद से चलकर जैसे-तैसे आये थे। शुक्र है कि प्रशासन को पता चल गया और इनकी जांच करवायी गयी। वरना वे ऐसे ही कोरोना फैलाने में बहुत बड़ा कारक बनते।

उन्होंने कहा कि जिस प्रकार से लोग कोरोना संक्रमित मिल रहे हैं, वह एक बड़े खतरे को आमंत्रण देने जैसा है। ऐसे सेंटर होने-न-होने का क्या फायदा, जब उसका उद्देश्य ही पूरी तरह सार्थक नहीं हो सके। अव्यवस्था का आलम समझा जा सकता है कि कोई भी बेधड़क कोरोना संक्रमित मरीजों से मिल रहा है, क्वारनटाइन किये गये लोग मजे से वहां से निकलकर जहां चाहे जाकर लोगों से मिल रहे हैं। राज्य सरकार को इस दिशा में तमाम पहलुओं को देखते हुए ठोस व मुकम्मल व्यवस्था करनी होगी।

उन्होंने सुझाव दिया कि क्वारंटाईन सेंटर, राज्य के सभी प्रखंड मुख्यालय स्थित दो-तीन प्रमुख विद्यालयों/अन्य जगहों से अधिक को नहीं बनानी चाहिए। अधिक सेंटर होने से लापरवाही की संभावना अधिक हो जाती है। प्रखंड मुख्यालय में सीमित सेंटर होने से प्रखंड के प्रमुख अधिकारियों की पूरी निगाह भी उस पर बनी रहेगी। इसमें पंचायत जनप्रतिनिधियों मसलन प्रमुख, मुखिया, जिला परिषद् सदस्य, पंचायत समिति सदस्य, वार्ड सदस्यों, स्थानीय शिक्षकों की जिम्मेवारी तय करनी चाहिए। साथ ही क्षेत्र के जो सामाजिक कार्यकर्ता हैं, उनका भी सहयोग लेने की जरूरत है। हमें नहीं लगता कि इस संकट की घड़ी में ऐसे जनसेवा के कार्य से किसी को इंकार होगा।

उन्होंने कहा कि राज्य सरकार को आम लोगों को यह बताना और समझाना होगा कि यह केवल सरकार व प्रशासन का ही दायित्व नहीं है बल्कि हर जिम्मेवार नागरिक को इस घड़ी में अपनी भूमिका निभानी चाहिए। ऐसा हो जाने के बाद इससे अव्यवस्था की गुंजाइश काफी कम होगी। हम सब भी समाज के तमाम प्रबुद्ध लोगों से आग्रह करेंगे कि यह आम विपदा नहीं है, यह बड़ी लड़ाई है। इसमें सरकार के काम में सहयोग करें और बताए गये दिशा-निर्देशों का पालन करते हुए इस लड़ाई में सहभागी बनिए। बाबुलाल ने मुख्यमंत्री से आग्रह किया कि कहीं यह लापरवाही राज्य के लिए बड़ी मुसीबत न बन जाए, इसलिए समय रहते इस पर विचार करने की जरूरत है।

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