26/11 मुंबई आतंकी हमलों के आरोपी और भारत द्वारा वांछित पाकिस्तानी-कनाडाई आतंकवादी ताहव्वुर हुसैन राणा को लेकर पाकिस्तान ने खुद को पूरी तरह अलग कर लिया है। इन हमलों में 166 लोगों की जान गई थी।
राणा को अमेरिका से भारत प्रत्यर्पित किया गया है और उसकी विमान दिल्ली में गुरुवार देर रात उतरी।
🇵🇰 पाकिस्तान ने क्या कहा?
पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता शफकत अली खान ने कहा:
“ताहव्वुर राणा ने पिछले 20 वर्षों से पाकिस्तानी दस्तावेजों का नवीनीकरण नहीं कराया है। उनकी कनाडाई नागरिकता स्पष्ट है।”
उन्होंने यह भी कहा कि राणा ने कनाडा की नागरिकता लेने के बाद पाकिस्तानी नागरिकता को फिर से प्राप्त करने की कोशिश नहीं की, जबकि पाकिस्तान दोहरी नागरिकता की अनुमति नहीं देता, विशेषकर कनाडा के मामलों में।
🧾 ताहव्वुर राणा कौन है?
- 64 वर्षीय राणा पर आरोप है कि उसने पाकिस्तानी सेना, उसकी खुफिया एजेंसी ISI और प्रतिबंधित आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा के साथ संबंधों के माध्यम से 26/11 हमलों में अहम भूमिका निभाई।
- उसे अमेरिका से बुधवार रात प्रत्यर्पित किया गया।
- भारत पहले से कहता रहा है कि हमलों को पाकिस्तानी तत्वों के समर्थन से अंजाम दिया गया था।
✈ भारत पहुंचते ही क्या हुआ?
- भारत पहुंचते ही राणा को NIA (राष्ट्रीय जांच एजेंसी) ने गिरफ्तार कर लिया।
- उसे तुरंत दिल्ली की तिहाड़ जेल में एक हाई-सिक्योरिटी सेल में रखा गया।
- फिर उसे अदालत में पेश किया जाएगा और बाद में मुंबई भेजा जाएगा, जहां उससे वरिष्ठ अधिकारी पूछताछ करेंगे और मुकदमा चलेगा।
कुछ लोग मांग कर रहे हैं कि उसे फांसी दी जानी चाहिए।
⚖ उस पर लगे आरोप
- राणा पर आपराधिक साजिश, भारत के खिलाफ युद्ध छेड़ने, हत्या, धोखाधड़ी, और अन्य गंभीर अपराधों के आरोप हैं।
- खुफिया एजेंसियों का मानना है कि उसने डेविड कोलमैन हेडली की मदद की थी, जो 26/11 हमलों का मुख्य साजिशकर्ता था।
- हेडली ने अमेरिकी जेल में यह कबूल किया कि राणा ने उसे लॉजिस्टिक और फाइनेंशियल सपोर्ट दिया था।
🇮🇳 प्रत्यर्पण और राजनीतिक पहलू
- राणा का प्रत्यर्पण भारत की लंबे समय से चली आ रही कोशिशों का परिणाम है।
- इसे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की कूटनीतिक सफलता बताया जा रहा है।
- हालांकि, कांग्रेस ने याद दिलाया कि इस प्रक्रिया की शुरुआत 2009 में UPA सरकार ने की थी।
पूर्व गृह मंत्री पी. चिदंबरम ने कहा:
“यह प्रत्यर्पण एक दशक से अधिक की कूटनीतिक, कानूनी और खुफिया प्रयासों का नतीजा है, जो UPA सरकार के कार्यकाल में शुरू हुआ था।”
🕯 26/11 हमला: एक नजर
- हमले तीन दिनों तक चले और होटलों, रेलवे स्टेशन और यहूदी केंद्र को निशाना बनाया गया।
- 10 आतंकवादियों में से केवल अजमल कसाब जीवित पकड़ा गया था।
- कसाब को 21 नवंबर 2012 को फांसी दी गई थी।
राणा की भारत वापसी 26/11 हमलों के लिए न्याय की दिशा में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर मानी जा रही है, और यह भारत की वैश्विक आतंक के खिलाफ लड़ाई में एक सशक्त संदेश भी है।