एयर एशिया के विमान से आज राज्य के 180 श्रमिक भाई बहन अपने परिवार के साथ झारखण्ड पहुंच गए। इससे पूर्व झारखण्ड ने सबसे पहले पहल कर ट्रेन के माध्यम से श्रमिकों को वापस अपने घर ला चुका है और यह क्रम अब भी जारी है। हेमन्त सोरेन ने कहा यही मानवता है। इस पुनीत कार्य के लिए एलुमनाई नेटवर्क ऑफ नेशनल स्कूल ऑफ लॉ, बेंगलुरु का योगदान सदैव सराहा जायेगा। इस तरह के कार्य से अन्य लोगों भी प्रेरित होंगे।
मुख्यमंत्री ने प्रारम्भ से ही कहा था कि आवश्यकता हुई तो राज्य सरकार श्रमिकों को विमान से अपने घर वापस लायेगी, और ऐसा हुआ भी। विमान से झारखण्ड वापस लाने की अनुमति हेतु मुख्यमंत्री ने गृह मंत्री को दो बार पत्र भी लिख चुके हैं। मुख्यमंत्री का प्रयास सार्थक हुआ और मुंबई में फंसे झारखंड के करीब 180 प्रवासी श्रमिक अपने राज्य लौट आए। आज सुबह एयर एशिया की फ्लाइट से सभी झारखंड लौटे। लॉकडाउन के बाद यह देश में पहला मौका है, जब प्रवासी मजदूरों को विमान से अपने राज्य वापस लाया गया।
मुंबई से रांची के बिरसा मुंडा एयरपोर्ट पहुंचे श्रमिकों की एयरपोर्ट पर मेडिकल स्क्रीनिंग की गई। साथ ही उन्हें भोजन का पैकेट और पानी का बोतल दिया गया। श्रमिकों की स्क्रीनिंग के बाद उन्हें पूरी गरिमा के साथ सम्मान रथ से उनके गंतव्य के लिए बस से रवाना किया गया। मुंबई से रांची पहुंचे श्रमिकों में बोकारो के 05, धनबाद के 09, देवघर के 10, जामताड़ा के 02, गोड्डा के 01, गिरिडीह के 29, हजारीबाग के 41, कोडरमा के 11, चतरा के 05, गढ़वा के 02, पलामू के 09, पूर्वी सिहभूम के 03, पश्चिमी सिंहभूम के 08, गुमला के 01, सिमडेगा 28 और रांची जिला के 16 प्रवासी श्रमिक शामिल थे।