झारखण्ड में निजी स्कूल बच्चों और अभिभावकों पर प्रत्यक्ष-परोक्ष तौर पर फीस के लिए दबाव बढ़ाने लगे हैं। आजसू पार्टी स्कूलों के इस रवैये को लेकर सरकार से मांग कर रही है। पार्टी के मुख्य प्रवक्ता डॉ देवशरण भगत ने कहा है कि राज्य के शिक्षा मंत्री पिछले डेढ़ महीने के दौरान कम से कम दर्जन बार ये बयान दे चुके हैं कि लॉकडाउन में निजी स्कूल फीस नहीं लेंगे। लेकिन राज्य के कई हिस्सों से लगातार ये खबरें सामने आ रही हैं कि फीस के लिए कई स्कूल से दबाव देने लगे हैं।
पार्टी प्रवक्ता ने कहा है कि प्राइवेट स्कूलों में बड़े पैमाने पर वैसे बच्चे भी पढ़ते हैं जिनके माता- पिता मामूली रोजगार से जुड़े हैं या फिर निजी संस्थानों में काम करते हैं। लॉकडाउन में सारा काम ठप पड़ा है। लोग हाथ पर हाथ धरे बैठे हैं। किसी तरह से खाने का इंतजाम भी उनके लिए भारी पड़ रहा है। जबकि दूसरे कई राज्यों में निजी स्कूलों पर फीस लेने या एनुअल, डवलपमेंट फीस के नाम पर पैसे लेने पर रोक लगा दी गई है। झारखण्ड में सिर्फ बयानबाजी हो रही है। वहीं सरकार के घटक दलों में ही इस मुद्दे पर आपसी सहमति नहीं है। शिक्षा मंत्री का कहना है कि निजी स्कूल इस संकट में फीस के लिए दबाव नहीं बना सकते और कांग्रेस के नेता कहते हैं कि निजी स्कूलों का फीस मांगना ठीक है।
डॉ देवशरण भगत ने कहा कि सरकार को इस मामले में दो टूक निर्णय लेते हुए स्पष्ट निर्णय दें। जहां तक स्कूलों के शिक्षकों, कर्मचारियों के वेतन का सवाल है, तो अधिकतर स्कूलों के पास इतना फंड होता है कि वे भुगतान कर सकते हैं। मुश्किलों में पड़े छात्रों और उनके अभिभावकों पर दबाव बनाना ठीक नहीं है। अगर इसे नहीं रोका गया, तो टकराव की नौबत भी आ सकती है। अगर ज़रूरी हो तो सरकार राज्य हित में इन स्कूलों को आर्थिक अनुदान दे।