यह फैसला चर्चा और विवाद का विषय बन गया है, क्योंकि यह विशेष भत्ता सभी CAPF कर्मियों को नहीं दिया जा रहा है। गांधी परिवार को मिली Z+ सुरक्षा में तैनात जवानों को इस लाभ का पात्र माना गया है, लेकिन अन्य क्षेत्रों में तैनात CAPF कर्मियों को इससे बाहर रखा गया है।
कई विशेषज्ञ और कर्मी संगठनों ने इस कदम की आलोचना की है। उनका कहना है कि CAPF जवान देश की सुरक्षा और शांति बनाए रखने में समान रूप से योगदान देते हैं। वे नक्सल प्रभावित इलाकों, सीमाओं और आतंकवाद प्रभावित क्षेत्रों में अपने कर्तव्यों का निर्वहन करते हैं। ऐसे में केवल एक विशेष वर्ग को इस भत्ते का लाभ देना अन्यायपूर्ण माना जा रहा है।
सरकार का यह फैसला उन जवानों के मनोबल पर भी असर डाल सकता है, जो कठिन और जोखिमभरे हालात में देश सेवा कर रहे हैं। हालांकि, सरकार ने इस पर अभी तक कोई विस्तृत सफाई नहीं दी है।
यह मुद्दा अब नीति और समानता के सिद्धांत पर एक व्यापक चर्चा को जन्म दे सकता है, जिसमें यह सवाल उठाया जा रहा है कि क्या विशेष भत्ते का वितरण सभी के लिए समान नहीं होना चाहिए?