सीमा सुरक्षा बल (BSF) के नौ अधिकारियों ने स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति (VRS) के तहत एक साथ अपनी सेवाएं छोड़ दी हैं। गृह मंत्रालय ने बीते सप्ताह सहायक कमांडेंट पंकज कुमार राणा, कमलेश मीणा, परमा नंद, टूआईसी विपिन कुमार, डिप्टी कमांडेंट भूपेश जोशी, कमांडेंट/सीएमओ डॉ. प्रवीण कुमार झा, सहायक कमांडेंट शिव मोहन सिंह, अजय पाल सिंह और टूआईसी अभिमन्यु कुमार सिंह की वीआरएस फाइल को मंजूरी दे दी।
BSF से एक साथ 9 अधिकारियों का जाना – क्या हैं संभावित कारण?
बीएसएफ के पूर्व अधिकारियों का मानना है कि इतने बड़े पैमाने पर अफसरों के वीआरएस लेने के पीछे पदोन्नति में देरी, वित्तीय असंतोष और करियर के बेहतर विकल्पों की तलाश जैसे कारण हो सकते हैं।
पूर्व एडीजी एस.के. सूद ने बताया कि जूनियर स्तर के कैडर अधिकारियों के प्रमोशन को लेकर BSF में समस्याएं बनी हुई हैं। यदि समय पर पदोन्नति होती, तो शायद इतने अधिकारी एक साथ इस्तीफा नहीं देते।
- प्रमोशन में देरी: कई जूनियर अधिकारियों को 15 वर्षों की सेवा के बाद भी पहली पदोन्नति नहीं मिल पा रही।
- वित्तीय असमानता: सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बावजूद BSF अधिकारियों को वेतन सुधार और वित्तीय लाभ नहीं मिल सके।
- हार्ड पोस्टिंग और कार्यभार: BSF को सीमा सुरक्षा के अलावा चुनावी ड्यूटी समेत अन्य जिम्मेदारियां भी निभानी पड़ती हैं, जिससे उनका मूल कार्य प्रभावित होता है।
- सेवा की अनिश्चितता: करीब 20 साल की सेवा के बाद जहां IPS अधिकारी IG के पद तक पहुंच जाते हैं, वहीं BSF के कैडर अफसर कमांडेंट तक भी नहीं पहुंच पा रहे।
क्या आगे और अफसर लेंगे वीआरएस?
BSF में मौजूदा असंतोष को देखते हुए यह अनुमान लगाया जा रहा है कि आने वाले समय में और भी अधिकारी VRS का विकल्प चुन सकते हैं। केंद्रीय अर्धसैनिक बलों के हजारों अफसर प्रमोशन और वित्तीय लाभ में भेदभाव को लेकर चिंतित हैं। इस स्थिति को सुधारने के लिए सरकार से तत्काल कदम उठाने की मांग की जा रही है।