रघुवर श्रवण बने तो हेमंत बने राम

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कहते हैं जो मंदिर-मस्जिद की यात्रा करवाए उसे पुण्य मिलता है। रघुवर जी ने अपने कार्यकाल में कुछ ऐसा ही किया, बुजुर्गों को तीर्थ कराया और सभी का आशीर्वाद उन्हें प्राप्त हुआ। अपने 5 साल के कार्यकाल में कई ऐसे काम किए जो सराहनीय है, पर चुनाव के परिणाम कुछ और बयान कर गए। वे अपनी सरकार ना बचा सके।

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कहते हैं जो मंदिर-मस्जिद की यात्रा करवाए उसे पुण्य मिलता है। रघुवर जी ने अपने कार्यकाल में कुछ ऐसा ही किया, बुजुर्गों को तीर्थ कराया और सभी का आशीर्वाद उन्हें प्राप्त हुआ। अपने 5 साल के कार्यकाल में कई ऐसे काम किए जो सराहनीय है, पर चुनाव के परिणाम कुछ और बयान कर गए। वे अपनी सरकार ना बचा सके। झारखण्ड में हेमंत सोरेन की सरकार बनी गयी। झारखंड के युवा मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन भले ही अन्य मुख्यमंत्री की तरह अनुभवी न हो लेकिन उन्होंने आज साबित कर दिया कि मौके पर वे हमेशा अपने राज्य की जनता के साथ खड़े रहेंगे।

पिछले दो दिनों से राज्य में दो ट्रेन राज्य के बाहर गए प्रवासी मजदूर और छात्रों को घर वापसी करवा रहे है। यह सिलसिला अभी जारी रहेगा। यह झारखंड के युवा मुख्यमंत्री का ही प्रयास था जिससे आज कई परिवार अपने परिजनों को एक लंबे अंतराल के बाद देख सकेगी। तेलंगाना से आये एक मजदूर मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को धन्यवाद देते नही थक रहा। उसका कहना है कि हमने तो लॉक डाउन से पहले घर वापसी की उम्मीद ही छोड़ दी थी लेकिन हेमंत सोरेन ने हमारे उस उम्मीद को हकीकत में बदल दिया।

तेलंगाना से ही आये एक मजदूर ने पहले तो मुख्यमंत्री को धन्यवाद दिया वहीं एक आग्रह भी किया कि राज्य के मुखिया राज्य में ही रोजगार के अवसर मुहैया करवाये ताकि आगे ऐसी विकट परिस्थिति में किसी को इतना दुख न झेलना पड़े। शनिवार को आये छात्रों का कहना है कि हमारे मुख्यमंत्री युवा है और वे बेहतर समझ रखते है। उनके प्रयास से ही आज हम अपने परिवार से मिल सकेंगे। उन्होंने भी मुख्यमंत्री से उम्मीद जताई कि वे झारखंड को शिक्षा के क्षेत्र में विकसित करें ताकि हमारे छात्रों को दूसरे राज्य न जाना पड़े।

बहरहाल झारखण्ड की जनता ने पिछले छः वर्ष में दो मुख्यमंत्री को देखा है। पूर्व की सरकार ने जहां झारखंड के बुजुर्गों को तीर्थ करवाया वही वर्तमान सरकार ने युवाओं को दूसरे राज्य से अपने राज्य लाने का काम किया। अब यह जनता को तय करना है कि तीर्थ करवाने वाली सरकार बेहतर है या बिछड़े को परिवार से मिलवाने वाली सरकार। जवाब कुछ भी हो लेकिन इतना तो तय है कि इस बार जनता ने एक सुपुत्र को झारखण्ड सौंपा है। वो कहते हैं ना दुख में काम आ जाये वही सच्चा साथी होता है।

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