सावन की चौथी सोमवारी पर अजगैवीनगरी सुलतानगंज शिवभक्तों से गुलजार हो गई। इस पावन अवसर पर 1.42 लाख कांवरिया उत्तरवाहिनी गंगा में जल भरकर बाबाधाम के लिए रवाना हुए। कई राज्यों से श्रद्धालु इस सोमवारी को लेकर अजगैवीनाथ मंदिर पहुंचे थे। गंगा का जलस्तर बढ़ने से पक्की घाट तक पानी पहुंच गया है, जिससे श्रद्धालुओं को जल भरने में आसानी हो रही है। मंदिर में सोमवार को हजारों भक्तों ने बाबा भोलेनाथ की पूजा-अर्चना की।
चौथी सोमवारी पर 1.42 लाख शिवभक्त हुए देवघर के लिए प्रस्थान
स्थानापित महंत प्रेमानंद गिरि ने बताया कि भक्तों की सुविधा को ध्यान में रखते हुए मंदिर में विशेष व्यवस्था की गई थी। हजारों भक्तों ने पवित्र उत्तरवाहिनी गंगा से जल भरकर नाथनगर स्थित बाबा मनसकामनानाथ मंदिर, जेठौरनाथ मंदिर, और गोनू धाम के लिए प्रस्थान किया। सोमवारी व्रत कर महिलाओं और युवतियों ने भी बाबा से अपनी मनोकामनाओं की पूर्ति के लिए प्रार्थना की। सरकारी आंकड़ों के अनुसार, चौथी सोमवारी को 1,42,417 कांवरिया बाबाधाम के लिए रवाना हुए, जबकि 1,850 डाक बम प्रमाण पत्र लेकर बाबानगरी प्रस्थान किए।
धार्मिक मान्यता क्या कहती है?
श्रावणी मेला के 22वें दिन, चौथी सोमवारी पर, कांवरियों और भक्तों ने बाबा भोलेनाथ पर जलार्पण किया। धार्मिक मान्यता के अनुसार, सावन में उत्तरवाहिनी गंगा के जल से बाबा का जलाभिषेक करने से सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। पुराणों में वर्णित है कि समुद्र मंथन के दौरान निकले विष का पान करने के बाद महादेव के शरीर में जलन होने लगी, जिसे शांत करने के लिए उन्होंने अपने मस्तक से गंगा को निकाला। भक्त गंगा जल से उनका जलाभिषेक कर उन्हें प्रसन्न करते हैं, और महादेव उत्तरवाहिनी गंगा के जल से अत्यधिक प्रसन्न होते हैं, जिससे रोग, शोक, दुख और कष्ट दूर हो जाते हैं।
सुलतानगंज से 22 दिनों में 19.57 लाख कांवरिया पहुंचे बाबाधाम
सरकारी आंकड़ों के अनुसार, श्रावणी मेला के 22 दिनों में अब तक 19,57,718 कांवरिया बाबाधाम के लिए प्रस्थान कर चुके हैं। इनमें से 41,218 डाक बम ने प्रमाण पत्र लिया। यह देखा गया है कि जो कांवरिया पहले पैदल नहीं चलते थे, वे भी श्रावणी मेला के दौरान पैदल चलने लगते हैं। कहा जाता है कि कांवरिया बनने से शिव से विशेष जुड़ाव हो जाता है, और बाबा बैद्यनाथ भक्तों के तरक्की के रास्ते खोल देते हैं।